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प्रयागराज और भदोही के बीच बनेगी 30 किलोमीटर लंबी कछुआ सैंक्चुरी

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। भारतीय वन्यजीव संस्थान ने मार्च 2021 में वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया था। सर्वेक्षण में भदोही के बरीपोर परवार गांव से प्रयागराज के मेजा स्थित कोठरी गांव तक गंगा में 30 किमी क्षेत्र को कछुआ सैंक्चुरी के रूप में घोषित किया गया। अब तक केवल गंगा के एक छोर से दूसरे छोर की लंबाई ही तय की गई है। नदी के दोनों किनारों के क्षेत्र का ब्योरा अभी नहीं मिला है। उस क्षेत्र में बसे गांव, नदी किनारे रह रहे मछुआरे और अन्य गतिविधियों की समीक्षा चल रही है। चूंकि कछुए सारा समय पानी में ही नहीं रहते, वे मुख्य रूप से अंडे देने के लिए बाहर आते ही हैं। 
जिससे नदी के किनारे ऐसे क्षेत्र को चिन्हित किया जाना है, जहां उनके अनुरूप वातावरण तैयार किया जा सके। किसी भी सैंक्चुरी में संरक्षित जीव के साथ अन्य जीवों की सुरक्षा भी होती है। गंगा के इस क्षेत्र में कछुआ सैंक्चुरी बनने से न सिर्फ कछुए, बल्कि छोटी मछलियां, गंगा डॉल्फिन के साथ पूरी जल जीव शृंखला ही सुरक्षित हो जाती है।
प्रभागीय वनाधिकारी महावीर कौजलगी ने बताया कि गंगा के इस क्षेत्र के संरक्षित घोषित होते ही वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के सभी प्रावधान लागू हो गए हैं। कछुआ सैंक्चुरी बनने के बाद मेजा और नदी किनारे के गांवों में जागरूकता कैंप भी लगाए गए थे। इस पूरी प्रक्रिया में जनभागीदारी अनिवार्य है। 
इस क्षेत्र में मछली पकड़ना, खनन, पेड़ों की कटाई जैसे कार्य रोकने पड़ेंगे। किसी के भी अधिकारों का हनन न हो और सर्वेक्षण कराकर पक्का बंदोबस्त करना बाकी है। आगे की प्रक्रिया राजस्व विभाग के जिम्मे है। लगभग दो साल से राजस्व विभाग की टीम सर्वेक्षण कर रही है। राजस्व विभाग रेवेन्यू मैप तैयार करेगा और जिलाधिकारी की अनुमति के बाद योजना को आगे बढ़ाया जाएगा।

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