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अशोक लेलैंड के कदम खींचने से औद्योगिक रोजगार को बड़ा झटका, बीपीसीएल की जमीन पर नहीं लग सका प्लांट

SV News

नैनी, प्रयागराज (केएन शुक्ल घंटी)। अशोक लेलैंड के कदम खींचने से औद्योगिक रोजगार को बड़ा झटका लगा है। संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद आटोमोबाइल सेक्टर में पिछड़ने के कारण बीपीसीएल की जमीन पर प्लांट नहीं लग सका। औद्योगिक रोजगार देने में प्रयागराज पिछड़ गया है।
प्रयागराज के नैनी में बीपीसीएल की जमीन पर यूपी की पहली इलेक्ट्रिक बस वाहन फैक्ट्री लगाने से अशोका लीडैंड के कदम खींचने से संगमनगरी में औद्योगिक रोजगार बढ़ाने की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। यह तब हुआ है जब मुफ्त की भूमि के साथ ही सस्ते श्रम से लेकर अन्य सुविधाएं यहां मयस्सर थीं। 
साथ ही यूपीसीड़ा की ओर से हर स्तर पर सहयोग के लिए हामी भर दी गई थी। हाल के सर्वेक्षणों में यह शहर रोजगार देने में कानपुर से भी आगे निकल गया था, लेकिन औद्योगिक रोजगार विकसति करने के मामले में पीछे रह गया है।
यूपी के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक वाहन कारखाने की स्थापना के लिए अशोका लेलैंड के इन्कार को यहां के औद्योगिक विकास की संभावनाओं पर ग्रहण के तौर पर देखा जा रहा है। बीते 15 सितंबर को अशोक लेलैंड समूह के धीरज हिंदुजा ग्रुप ने यूपी में एकीकृत वाणिज्यिक वाहन बस संयंत्र स्थापित करने के लिए योगी सरकार के साथ समझौता किया था।
समूह ने इसके लिए दो जगहों पर भूमि का सर्वे कराया था। इसमें लखनऊ में स्कूटर इंडिया और प्रयागराज के नैनी में स्थित बीपीसीएल की भूमि का अशोक लेलैंड ने अफसरों की टीम के साथ सर्वे कराया था। तब सरकार ने बीपीसीएल की 231 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) को मुफ्त हस्तांतरित की थी। 
अशोक लेलैंड के अधिकारियों के साथ बीपीसीएल की भूमि के सर्वे में यूपीसीडा के भी शीर्ष अफसर शामिल थे। यूपीसीडा को भूमि हस्तांतरित होने के बाद इलेक्ट्रिक कारखाने के लिए हिंदुजा समूह को जमीन मिलने का रास्ता भी साफ हो गया था। प्रयागराज में जमीन की उपलब्धता और औद्योगिक नीति के मुताबिक सब्सिडी लखनऊ की तुलना में ज्यादा थी। 
श्रम भी सस्ता था। इस लिहाज से प्रयागराज लखनऊ पर भारी पड़ रहा था। बावजूद इसके अशोक लेलैंड ने लखनऊ स्थित स्कूटर इंडिया की भूमि पर प्लांट लगाने का एलान कर लोगों को चौंका दिया है। लघु उद्योग भारती के प्रयागराज इकाई के महामंत्री विक्रम टंडन इसकी बड़ी वजह बताते हैं कि प्रयागराज आटोमोबाइल्ट सेक्टर के रूप में अभी विकसित नहीं हो सका है। 
उनका कहना है कि बड़ा उद्योग सिर्फ जमीन और सब्सिडी के सहारे तब तक नहीं पनप सकका, जबतक उसके पास सहायक इकाइयों का मजबूत नेटवर्क न हो। इसी तरह बड़े उद्यमी आकाश बरनवाल बताते हैं कि लखनऊ में टाटा की मौजूदगी पहले से है। इस वजह से यहां 200 से ज्यादा सहायक इकाइयां केवल आटोमोबाइल सेक्टर की हैं। जबकि, प्रयागराज में इस तरह के उद्योगों का अभाव है।
इलेक्ट्रिक कारखाने की संचालिका मनु गुप्ता बताती हैं कि अशोक लेलैंड के प्रयागराज में प्लांट लगाने से यहां पर 10 हजार से भी ज्यादा कुशल अकुशल लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार मिलता साथ ही कई छोटे मझले उद्योगों को कंपनी के साथ कार्य करने तथा कई लघु उद्योगों को यहां अपना कार्य शुरू करते। 
इससे प्रयागराज को आर्थिक मजबूती मिलती। इलेक्ट्रिक वाहन के निर्माण से बुंदेलखंड , पूर्वांचल और मध्य प्रदेश के बीचो बीच स्थित प्रयागराज के औद्योगिक क्षेत्र से सभी जगहों पर वहां की सप्लाई चौन बनाने से ट्रांसपोर्ट और उनसे जुड़े उद्यमों को अच्छा काम और मुनाफा मिलता जो की अब सिर्फ सपने की बातें हो गई हैं।

अशोक लेलैंड के यहां पर स्थापित न होने से ऑटो मोबाइल सेक्टर को झटका लगा है। यहां कंपनी के निवेश से इस व्यवसाय से जुड़ी कई छोटी कंपनियों को काम मिलता और निवेश भी बढ़ता। - मनु गुप्ता डारेक्टर एमवीएम मोर्टस

बीपीसीएल नैनी के विजिट के बाद यहां अशोक लेलैंड के लगने की संभावना बढ़ी थी। लेकिन कंपनी द्वारा लखनऊ में निवेश किए जाने से यहां के उद्योगों को गहरा झटका लगा है। बड़ी कंपनी के स्थापित होने से रोजगार के साथ छोटी कंपनियों को संजीवनी मिलती है।- आशुतोष तिवारी अध्यक्ष औद्योगिक कल्याण संघ

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