मेजा,प्रयागराज। (पवन तिवारी)
श्रीमद्भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन कृष्ण - सुदामा मित्रता तथा परीक्षित मोक्ष कथा का वर्णन हुआ। कथावाचक पंडित धनंजय जी महाराज ने कथा के दौरान श्रीकृष्ण एवं सुदामा की मित्रता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मित्र सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। "पानी परात को हाथ छूवो नाहीं, नैनन के जल से पग धोये।" का संगीतमय वर्णन किया।उन्होंने कहा कि इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में कभी धन दौलत आड़े नहीं आती।आचार्य ने सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा के मुख्य यजमान स्व.श्रीनिवास तिवारी के पुत्र पप्पू तिवारी की मां बेलाकली तिवारी और भाभी सविता तिवारी रहीं।
कथा व्यास ने कहा कि 'स्व दामा यस्य स: सुदामा' अर्थात अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है। सुदामा की मित्रता भगवान के साथ नि:स्वार्थ थी, उन्होने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की, लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गए, चावलों में भगवान श्री कृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सब कुछ प्रदान कर दिया। कहा कृष्ण भक्त वत्सल हैं सभी के दिलों में विहार करते हैं जरूरत है तो सिर्फ शुद्ध ह्रदय से उन्हें पहचानने की।उन्होंने परीक्षित मोक्ष की कथा विस्तार से सुनाई।
कथा के अंत में फूलों की होली व शुकदेव विदाई का आयोजन किया गया। हारमोनियम पर प्रभाकर मिश्र,तबले पर किशोर भट्ट और बिंजों पर कृष्ण कुमार ने संगत की। कथा के अंत में आचार्य रमाशंकर द्विवेदी,अश्विनी कुमार पांडेय,करुणाशंकर द्विवेदी,विकास दुबे,गिरिजा शंकर पाण्डेय और अमित कुमार द्विवेदी द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा हवन यज्ञ कराया गया। आयोजक पप्पू तिवारी ने बताया कल भंडारे का विशाल आयोजन किया गया।