प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण मुकदमे में गवाह का बयान दर्ज करने या ट्रायल प्रक्रिया प्रभावित होने पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर मामले में अगर अधिवक्ता दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। कोर्ट ने यूपी बार काउंसिल को भी ऐसे अधिवक्ताओं के खिलाफ व्यायसायिक कदाचरण के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने नूर आलम सहित कई अन्य की जमानत अर्जियों पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। इस मामले में नूर आलम की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। साथ ही कोर्ट ने अधिवक्ताओं की हड़ताल से गवाहों के परीक्षण और मुकदमों के ट्रायल प्रभावित होने और मुकदमे के निस्तारण पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को देखते हुए इस संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी किया है।
कोर्ट ने कहा है कि अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण किसी मुकदमे में गवाही रोकी जाती है या गवाह की प्रति परीक्षा में बाधा पहुंचाई जाती ह तो इसके लिए दोषी अधिवक्ताओं को व्यावसायिक कदाचरण का दोषी माना जाएगा।