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महाविष्णु के दशावतार संग रामलला दर्शन, बाल स्वरूप राम के चरणों में विराजमान हैं जटायु और हनुमान




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अयोध्या। इसमें भगवान राम के बाल स्वरूप के साथ ही महाविष्णु समेत उनके दशावतार के दर्शन भी एकसाथ होंगे। संपूर्ण मूर्ति एक ही पत्थर में बनी हुई है और रामलला बाल रूप में धनुष-बाण लेकर विराजमान हैं।

नागर शैली में बने राममंदिर में स्थापित रामलला की मूर्ति बेहद सुंदर है। इसमें भगवान राम के बाल स्वरूप के साथ ही महाविष्णु समेत उनके दशावतार के दर्शन भी एकसाथ होंगे। संपूर्ण मूर्ति एक ही पत्थर में बनी हुई है और रामलला बाल रूप में धनुष-बाण लेकर विराजमान हैं। 51 इंच की ऊंचाई वाले विग्रह के प्रभावलय में ही दशावतार को भी उकेरा गया है। सबसे ऊपर मध्य में महाविष्णु, इसके बाद मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार हैं। मूर्ति देखने वालों ने बताया कि उन्होंने विग्रह के दर्शन से आनंद व ऊर्जा महसूस किया। प्राणप्रतिष्ठा के बाद 23 जनवरी से मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए भी खुल जाएंगे। कर्मकांडी पं. लक्ष्मीकांत द्विवेदी का कहना है कि भगवान राम तो साक्षात धर्म के विग्रह हैं। धर्म की रक्षा के लिए ही भगवान विष्णु ने दशावतार लिए और विश्व का कल्याण किया। मंदिर के गर्भगृह के पहले तीन मंडप बनाए गए हैं और मुख्य द्वार पर द्वारपाल के रूप में जय-विजय की मूर्तियां भी लगाई गई हैं।

सीढ़ियों से गर्भगृह की तरफ बढ़ने पर सबसे पहले नृत्यमंडप है। इसमें 8 स्तंभ हैं। इस पर भगवान शिव व उनके परिवार की भी मूर्तियां हैं। नृत्यमंडप से गर्भगृह की तरफ बढ़ने पर रंगमंडप है। इनके बीच चार स्तंभों पर गणपति विराजमान हैं। सभा मंडप के चार स्तंभों पर गणपति की मूर्तियां हैं। इसकी दीवारों पर रामलला की लीलाओं को उकेरा गया है। सभा मंडप के ठीक सामने गर्भगृह है, जिसमें स्वर्णजड़ित द्वार से होकर रामलला के दर्शन होंगे।

गर्भगृह के मुख्यद्वार के ठीक ऊपर शेषशय्या पर विश्राम करते हुए विष्णु भगवान को उकेरा गया है। उनके साथ ब्रह्माजी और शिवजी हैं। अर्धचंद्र के बाहर सूर्य, चंद्र और गरुड़ बने हैं। गर्भगृह की चौखट पर दोनों तरफ चंद्रधारी गंगा, यमुना की मूर्तियां हैं। एक ओर मगरमच्छ पर विराजमान गंगाजी हाथ में कलश लिए और दूसरी ओर कूर्म पर विराजमान यमुनाजी की मूर्ति है। गर्भगृह के बाएं तरफ बड़े मंडप में एक ताखे पर गणेशजी की मूर्ति है। उसके ऊपर रिद्धि-सिद्धि व शुभ-लाभ के चिह्न हैं। एक ताखे में हनुमानजी की प्रणाम मुद्रा की मूर्ति के ऊपर अंगद, सुग्रीव व जामवंत की मूर्तियां बनाई गई हैं।

सूर्यवंश का वैभव और संस्कृति देखेगी दुनिया 

अयोध्या धाम आने वाले श्रद्धालु रामलला के दर्शन के साथ ही अयोध्या की संस्कृति और सूर्यवंश के वैभव से रूबरू हो सकेंगे। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसके लिए भव्य संग्रहालय का खाका तैयार किया है।

श्रद्धालुओं के लिए कनक भवन, हनुमान गढ़ी, दशरथ महल और सरयू के बाद आकर्षण के नए केंद्र के रूप में संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा। संग्रहालय में जन्मभूमि क्षेत्र में खोदाई से मिली मूर्तियों व मंदिरों के अवशेषों को रखा जाएगा। इसमें महाराजा विक्रमादित्य के समय के मंदिरों के अवशेष, 12वीं सदीं, छठवीं सदी, पांचवी सदी, ईसा पूर्व13वीं सदी के मंदिरों के अवशेष संरक्षित किए जाएंगे। टेराकोटा की 270 मूर्तियां व अवशेष भी होंगे। संग्रहालय के निर्माण का कार्य प्राणप्रतिष्ठा समारोह के बाद शुरू होने की संभावना है। खोदाई में मिले अवशेष और मूर्तियों की संख्या इतनी ज्यादा है कि वर्तमान में स्थित रामकथा संग्रहालय में रखा जाए, तो वह पूरी तरह से भर जाएगा। 

रामायण वैक्स संग्रहालय की भी है योजना

रामायण वैक्स संग्रहालय की योजना पर भी काम चल रहा है। इसमें सीता स्वयंवर, राम वन गमन के साथ ही वैक्स की 35 से अधिक प्रतिमाएं होंगी। दो एकड़ में बनने वाले संग्रहालय में थ्री डी इफेक्ट और मोम की प्रतिमाएं होंगी। पहले चरण में राम कथा पर आधारित प्रतिमाएं और दूसरे चरण में भगवान कृष्ण पर आधारित चित्र व प्रतिमाएं लगाई जाएंगी। वैक्स की आकृतियां सुनील कंडाल्लूर की देखरेख में तैयार होंगी।

संग्रहालय में खोदाई से निकली मूर्तियों, मंदिर और अवशेष को रखा जाएगा। इसकी कार्ययोजना तैयार है और स्थान का चयन होना बाकी है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद इस पर कार्य शुरू होगा। -जगदीश आफले, प्रोजेक्ट मैनेजर, श्रीराममंदिर अयोध्या

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