प्रयागराज (राजेश सिंह)। चार सौ करोड़ रुपये की ठगी के मामले में गिरफ्तार प्रयागराज के निहारिका वेंचर्स का एमडी अभिषेक द्विवेदी पहले नौकरी करता था। करोड़ों में खेलने और शान-ए- सौकत की चाहत में उसने कई जगह हाथ पांव मारे। गिरफ्तारी के बाद पुलिस को पूछताछ में बताया कि 2003 में एलएलबी करने के बाद उसने नोएडा जाकर एक संस्थान से मॉस कम्युनिकेशन का डिप्लोमा किया। इसके बाद एक राष्ट्रीय चैनल में रिपोर्टर के तौर कुछ महीनों नौकरी की। लेकिन ज्यादा दिन नहीं ठहरा। कम समय में ज्यादा पैसे कमाना चाहता था।
2007 में वह वापस प्रयागराज आ गया और वकालत करने लगा। लेकिन यह पेशा भी उसे अधिक दिनों तक रास नहीं आया। वकालत छोड़ कर उसने ट्रेवेल्स का काम शुरू किया। इस धंधे में उसे ठीकठाक कमाई होने लगी तो उसने कई व्यवसाय शुरू किए। इसके बाद 2020 में उसने निहारिका वेंचर्स कंपनी खोली। इसमें निवेशकों को रियल एस्टेट में पैसा लगाने पर सात प्रतिशत के हिसाब ब्याज देने का लालच दिया। इसके बाद निवेशकों की संख्या बढ़ती चली गई। वह निवेशकों से बकायदा एग्रीमेंट करता और ब्लैक चेक देता था। कुछ बैंक चेकों पर उसके हस्ताक्षर फर्जी मिले हैं।
पुलिस को जांच और आरोपी से पूछताछ में पता चला कि अभिषेक और उसकी पत्नी के नाम पर नौ स्थानों पर फ्लैट, जमीन और मकान है। जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 20 करोड़ रुपये है। वह इन संपत्तियों को बेच न पाए इसके लिए प्रयागराज, लखनऊ और नोएडा के उपनिबंधक को पत्र लिखा गया है। ठग दंपती के नाम पर 11 बैंक खाते में मिले हैं, जिन्हें फ्रीज किया जा चुका है। पुलिस को जांच और पूछताछ में पता चला है कि कि उ उसके पास पांच लग्जरी कार रही। जिनकी कीमत लगभग 1.20 करोड़ रुपये है। वह खुद 40 लाख की महंगी गाडी से चलता था।
पूछताछ में अभिषेक ने पुलिस को बताया कि वह भागा तो पहले फैजाबाद पहुंचा। वहां तीन दिन रहा। इसके बाद बस्ती गया। नौ जून को वहां से नोएडा पहुंच गया। कुछ दिन टीकमचंद के घर पर रहा। इसके बाद वह गाजियाबाद के लोनी में भी रहा। फिर नोएडा में एक फ्लैट लेकर कुछ दिन रहा। जब पुलिस का शिकंजा ज्यादा कसा तो भागकर पानीपत में किराए पर फ्लैट लेकर रहने लगा था।