प्रयागराज (राजेश सिंह)। महाकुंभ में गंगा पर बनने वाले पांटून पुलों के निर्माण के लिए रायपुर से साल स्लीपर और साल एजिंग की आपूर्ति अभी तक आरंभ नहीं हो सकी है। परीक्षण के लिए गईटीमों ने अब तक 1410 स्लीपर को गुणवत्ता युक्त पाया है। दूसरे चरण के परीक्षण में विशेषज्ञों की टीम ने पांच दिन में सिर्फ 16 स्लीपर ही पास किए हैं। पता चला है टीम में शामिल अभियंताओं ने अफसरों को रिपोर्ट दी है कि वर्क आर्डर लेने वाली कंपनी के भंडारण में ज्यादातर साल स्लीपर खराब और मानक के अनुरूप नहीं होने से छंट जा रहे हैं।
महाकुंभ के लिए साल स्लीपर का वर्क आर्डर रायपुर की पांच फर्मों को दिया गया है। 15 दिन से वहां वन निगम और पीडब्ल्यूडी की विशेषज्ञ टीमें स्लीपर का परीक्षण कर रही हैं। कम से कम एक हजार से अधिक स्लीपर जहां प्रतिदिन पास होने चाहिए, वहीं अब तक पखवारे भर में 40 हजार साल स्लीपर के सापेक्ष सिर्फ 1410 स्लीपर ही पास हो सके हैं।
पहली टीम ने 22 हजार स्लीपर के सापेक्ष सिर्फ 1393 साल स्लीपर पास किए हैं। जबकि, इसमें 178 साल एजिंग भी शामिल हैं। दूसरी टीम ने पांच दिनों में सिर्फ 16 स्लीपर ही पास किए हैं। महाकुंभ में 30 पांटून पुलों के निर्माण के लिए कुल 80 हजार साल स्लीपर और आठ हजार साल एजिंग की आपूर्ति की जानी है। टेंडर बांड के अनुसार छह नवंबर तक आपूर्ति पूरी कर देनी है।
इस हिसाब से देखा जाए तो प्रतिदिन अगर एक हजार साल स्लीपर की आपूर्ति होगी तब यह लक्ष्य पूरा हो सकेगा। लेकिन पखवारे भर में दो चरणों में जहां 56 हजार साल स्लीपर पास किए जाने का लक्ष्य था, वहीं अब तक यह संख्या सैकड़ों में ही पहुंच सकी है। मुख्य अभियंता एके द्विवेदी का कहना है कि अभी तक जो स्लीपर छांटे गए हैं, उनकी लोडिंग शुरू करा दी गई है। जल्द ही आपूर्ति शुरू करा दी जाएगी। रही बात खराब गुणवत्ता की तो जो स्लीपर पास करने योग्य होंगे, वहीं लिए जाएंगे। गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाएगा।
पांटून पुलों को दोबारा टेंडर 17 को
पांटून पुलों के लिए टेंडर में भी फर्मों के हिस्सा न लेने से काम पिछड़ने की आशंका है। 30 जुलाई को होने वाले टेंडर में एक भी कंपनी ने हिस्सा नहीं लिया था। अब यह टेंडर 17 जुलाई को फिर कराया जाएगा। मुख्य अभियंता का करना है कि समीक्षा कराई जा रही है, समय रहते सभी काम पूरे कराए जाएंगे।