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नागपंचमी पर विधि-विधान से हुई नागवासुकि की पूजा, भक्तों ने चढ़ाया दूध और लावा

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। संगम नगरी में नागपंचमी का पर्व शुक्रवार परंपरागत तरीके से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने घरों में दूध लावा का भोग लगाकर नाग देवता का आह्वान किया। भगवान शिव के मंदिरों में पूजा अर्चना और जलाभिषेक के लिए भक्तों की भारी भीड़ रही। श्रद्धालुओं की सर्वाधिक भीड़ नागवासुकि मंदिर पर रही। दारागंज में गंगा के तट पर स्थित नागवासुकि भगवान को दूध लावा का भोल लगाने और अभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। यहां पर सुरक्षा व्यवस्था का व्यापक बंदोबस्त था।
मंदिर के बाहर बड़ी संख्या में सपेर विभिन्न प्रजाति के सांपों का दर्शन करा रहे थे। लोगों ने नाग देवता का दर्शन कर यथाशक्ति दान पुण्य किया। इसके अलावा जनपद के सभी मंदिरों में भक्तों की भीड़ रही। दूध और लावा की खरीदारी जमकर की गई। 
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान नागवासुकि को रस्सी बनाकर देवताओं और दानवों ने समुद्र का मंथन किया था। समुद्र मंथन के बाद नागवासुकि काफी लहूलुहान हो गए थे। भगवान विष्णु की सलाह पर नागवासुकि ने संगम नगरी प्रयागराज में इसी स्थान पर आराम किया था।
इसके चलते इसे नागवासुकि मंदिर कहा जाता है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु सर्पदोष से मुक्ति पाने के लिए नागवासुकि महाराज का दर्शन करने और अनुष्ठान करने के लिए यहां पर आते हैं। यहां से कंकड़ ले जाकर घर में रखने पर घर पर कभी सांपों और नागों की छाया नहीं पड़ती है और सर्पदोष से मुक्ति मिलती है, ऐसी भी मान्यता है।

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