पितृपक्ष का 18 सितंबर से शुरू होकर समापन 2 अक्टूबर को होगा खत्म
प्रयागराज (राजेश सिंह)। जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज श्रृंगवेरपुर धाम ने आज बताया कि सनातन धर्म में पितृ पक्ष पितरों को समर्पित होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा तिथि का आरंभ 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रहा है। पूर्णिमा तिथि का समापन 18 सितंबर को सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर होगा। पूर्णिमा श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा।
जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज ने बताया कि इस बार प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध तिथि 18 सितंबर को पड़ रही है। श्राद्ध पक्ष की शुरुआत प्रतिपदा तिथि से होती है इसलिए इस बार 18 सितंबर से पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोजन और दान जैसे अन्य दूसरे कार्य शुरू किया जायेगा। इस बार पितृ पक्ष का आरंभ 18 सितंबर से होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज श्रृंगवेरपुर धाम ने बताया कि पितृ पक्ष में हमेशा पितरों की पूजा, अर्चना मध्यान्ह में करना श्रेयस्कर होता है। पितरों का तर्पण शुद्ध जल, सफेद फूल,और काले तिल से करें। इसके साथ ही पितरों का पिंडदान सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजकर 30 मिनट के बीच किया जा सकता है। पित्र पक्ष के दौरान खीरा, सरसों का साग, करेला, अरबी, चुकंदर, शलजम, गाजर, मूली, सूरन, और जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियों की खाने की मनाही है। जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज ने बताया कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृ पक्ष के 16 दिनों में तामसिक भोजन जैसे मीट, मछली, अंडे, लहसुन, प्याज को नही खाना चाहिए, नही तो पित्र दोष से आप मुक्त नहीं हो सकते हैं, आपका जीवन कष्टमय हो सकता है। पितरों की पूजा अर्चना हमेशा पवित्र मन से शुद्ध हो कर करें, इससे आपको पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहेगा।