प्रयागराज (राजेश सिंह)। फूलपुर विधानसभा में लगातार तीसरी बार जीत की तैयारी में जुटी भाजपा की राह आसान नहीं दिख रही। विगत चुनावों के आंकड़ों को देखें तो इस बार भी सपा से कड़ी टक्कर मिलने जा रही है। बसपा ने भी शिवबरन पासी को प्रत्याशी बनाकर अनुसूचित जाति के मतदाताओं के ध्रुवीकरण की कोशिश की है। बसपा की यह रणनीति सफल हुई तो चुनाव त्रिकोणी होने के साथ दिलचस्प भी होगा।
भाजपा के प्रवीण पटेल 2017 और 2022 में लगातार दो बार विधायक चुने गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रवीण पटेल ने सपा के मंसूर आलम को 16613 मतों के अंतर से हराया था, लेकिन 2022 के चुनाव में जीत का अंतर मात्र 2732 वोट में सिमट गया। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रवीण पटेल को 103557 वोट मिले थे। वहीं सपा के मुज्तबा सिद्दीकी को 100825 वोट मिले थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव-2024 से भी भाजपा को निराशा हाथ लगी थी।
लोकसभा के लिए निर्वाचित प्रवीण पटेल को फूलपुर विधानसभा में 89650 वोट मिले थे, जबकि यहां से सपा के अमरनाथ मौर्य को 107510 वोट मिले थे। इस तरह से प्रवीण पटेल अपने ही विधानसभा में सपा उम्मीदवार से 27860 मतों से पीछे रह गए थे।
अब सपा ने एकबार फिर मुज्तबा सिद्दीकी को मैदान में उतारा है। पार्टी ने चुनाव की घोषणा से काफी पहले उम्मीदवार के नाम की घोषणा करके अन्य दलों पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ाया है, जबकि भाजपा ने अभी तक उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। बृहस्पतिवार को प्रत्याशी की घोषणा की जा सकती है। चार नेताओं के नाम पार्टी हाईकमान को भेजे गए हैं।
स्थानीय कांग्रेस नेताओं को हाईकमान के आदेश का इंतजार
सपा के साथ गठबंधन के तहत फूलपुर विधानसभा सीट पर दावा कर रहे कांग्रेस नेताओं के सुर भी बदल गए हैं। अब उन्हें पार्टी हाईकमान के आदेश का इंतजार है। सपा ने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। इसके बाद से कांग्रेस नेताओं की राजनीतिक गतिविधियों पर अंकुश लग गया था। पार्टी के गंगापार के अध्यक्ष एवं टिकट के लिए दावेदारी करने वाले सुरेश यादव का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व का जो आदेश होगा वह किया जाएगा। महानगर अध्यक्ष प्रदीप मिश्र अंशुमन ने भी पार्टी हाईकमान के निर्देश का पालन करने की बात कही।