प्रयागराज (राजेश सिंह)। शहर के सिविल लाइंस में स्पा सेंटर की आड़ में सेक्स रैकेट संचालन के मामले में पुलिस की चूक आरोपियों के लिए राहत का सबब बन गई। पुलिस की ओर से कोर्ट में बरामदगी के संबंध वीडियो रिकॉर्डिंग के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई। न ही कार्रवाई के समय किसी स्वतंत्र साक्षी की मौजूदगी का उल्लेख किया गया। नतीजतन सेक्स रैकेट संचालक को जमानत दे दी गई।
30 अगस्त को सिविल लाइंस में बस अड्डे के ठीक बगल स्थित पी स्क्वॉयर मॉल में चार स्पा सेंटरों में सेक्स रैकेट के संचालन का भंडाफोड़ हुआ था। पुलिस ने दावा किया कि मौके से 13 महिलाओं समेत 20 लोग गिरफ्तार किए गए। साथ ही नगदी व मोबाइल फोन के अलावा कंडोम, सेक्सवर्धक दवाएं, ग्लब्स आदि बरामद हुए।
अभियुक्तों के बयान के आधार पर मामले में तीन लोगों के नाम प्रकाश में लाए गए जिनमें गौरव कालिया, समीर खान व भानु शामिल हैं। करीब डेढ़ महीने बाद 16 सितंबर को गौरव कालिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इसके बाद गौरव की ओर से जमानत के लिए अर्जी दी गई।
सूत्रों के मुताबिक, अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि इस प्रकरण के संबंध में पुलिस की ओर से जो भी साक्ष्य, रिकॉर्ड पेश किए गए, उनसे यह स्पष्ट नहीं है कि गिरफ्तारी व बरामदगी की कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग है या नहीं। इसके अलावा बरामदगी व गिरफ्तारी के किसी स्वतंत्र साक्षी का भी उल्लेख प्रपत्रों में नहीं है। इतना ही नहीं आरोपी के पूर्व आपराधिक इतिहास के संबंध में भी कोई जानकारी नहीं दी गई। इस आधार पर आरोपी को जमानत दे दी गई।
वाराणसी व जाैनपुर में कुल चार केस
खास बात यह है कि जिस अभियुक्त का आपराधिक इतिहास पुलिस पेश नहीं कर सकी, उसके खिलाफ कुल चार मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इनमें से वाराणसी में तीन और एक मुकदमा जौनपुर का है। वाराणसी में दर्ज केस में एक आर्म्स एक्ट, दूसरा लूट व तीसरा मारपीट व अन्य धाराओं का था। सोशल मीडिया पर असलहे के साथ फोटो अपलोड करने के आरोप में उस पर कैंट थाने में 2022 में आर्म्स एक्ट का केस दरोगा शांतनु सिंह ने दर्ज कराया था। जौनपुर में दर्ज धोखाधड़ी के मुकदमे में उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।
सरगना का 50 दिन बाद भी सुराग नहीं
इस प्रकरण में एक खास बात यह भी है कि पुलिस अब तक सरगना समीर खान उर्फ अबू सूफियान को नहीं पकड़ सकी। मामले के भंडाफोड़ के दौरान पुलिस अफसरों ने दावा किया था कि सेक्स रैकेट का सरगना वाराणसी का समीर खान है। उसने कोर्ट में एफआईआर निरस्त करने की मांग को लेकर याचिका भी लगाई है।
आरोपी के दो मुकदमाें की जानकारी मिली थी, जिनमें अंतिम रिपोर्ट लग चुकी है। ऐसे में उसका आपराधिक इतिहास रहा ही नहीं। जहां तक गिरफ्तारी व बरामदगी की कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग की बात है तो इसे सिविल लाइंस थाना पुलिस को पेश करना चाहिए था। - मनोज कुमार सिंह, एसीपी कोतवाली