चूहों से हो जाएं सावधान, डेंगु की तरह हैं रोग के लक्षण
प्रयागराज (राजेश सिंह)। अगर आपको तेज बुखार और उल्टी की समस्या है तो सतर्क हो जाएं। यह डेंगू की तर्ज पर लैप्टोस्पाइरोसिस नामक बीमारी के लक्षण हैं, जो चूहों के मल-मूत्र में पाए जाने वाले जीवाणुओं से होती है। सोरांव के रंगपुरा गांव में इस बीमारी के चार मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में है। विभागीय टीम ने गांव में पहुंचकर 21 लोगों की जांच के लिए सैंपल एकत्रित किया था, जिसमें चार लोगों में बीमारी की पुष्टि हुई है।
दरअसल, सोरांव के रंगपुरा गांव में लगातार लोगों के बीमार होने की सूचना स्वास्थ्य विभाग को मिल रही थी। गांव के 30 से अधिक लोगों को तेज बुखार और उल्टी की समस्या थी। इस सूचना के बाद 10 अक्तूबर को जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम रंगपुरा गांव में जांच परीक्षण के लिए पहुंची थी। इस दौरान करीब 21 लोगों का सैंपल लेकर जांच के लिए मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में भेजा गया।
16 अक्तूबर को प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर गांव के चार लोगों में लैप्टोस्पाइरोसिस बीमारी से ग्रसित पाए गए। इनमें तीन युवती और एक पुरुष शामिल हैं। इसके अलावा दो लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। सोरांव सीएचसी के अधीक्षक डॉ. अनुपम द्विवेदी ने बताया कि लैप्टोस्पाइरोसिस बीमारी जीवाणुजनित बीमारी है, जो खास ताैर पर चूहों के मल-मूत्र से होती है। इसके लक्षण डेंगू की तरह ही होते हैं। यह यह बीमारी गुर्दे फेल होने का कारण बन सकती है। इसमें मृत्यु की संभावना डेंगू के मुकाबले कई गुना अधिक होती है।
आम तौर पर इस बीमारी से ठीक होने में 13 से 14 दिनों का समय लगता है। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान रंगपुरा गांव के कुछ लोगों के घरों के पास चूहे दिखे थे। फिलहाल चाराें मरीजों की स्थिति सामान्य है। विदित हो कि वर्ष 2020 से 2024 में अब तक लैप्टोस्पाइरोसिस बीमारी के पांच मरीज मिले हैं। इनमें एक 2023 और चार मरीज इस वर्ष मिले हैं।
सोरांव के रंगपुरा गांव में लोगों के बीमार होने की सूचना मिल रही थी। इसके बाद एक टीम को वहां जांच के लिए भेजा गया। 21 लोगों का सैंपल लेकर एमएलएन मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी लैब में जांच कराई गई। चार मरीजों में लैप्टोस्पाइरोसिस की पुष्टि हुई है। - डॉ. वरुण क्वात्रा, एसीएम
पानी और गीले मैदान में पनपते हैं जीवाणु
यह एक जीवाणु संक्रमण है जो बग लेप्टोस्पाइरा के कारण होता है। ये जीवाणु पानी और गीले मैदान में पनपते हैं। इसके बाद ये पालतू जानवरों और मुख्य रूप से चूहों को संक्रमित करते हैं। यह बीमारी संक्रमित जानवर के मल-मूत्र से या मृत जानवर से संक्रमित ऊतक के माध्यम से फैल सकती है। यह दूषित पानी पीने से या मुंह, नाक और आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है।
लैप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस की जांच शुरू
सोरांव में चार मामले लैप्टोस्पाइरोसिस के पाए गए हैं। इस बीमारी का इलाज एंटीबॉयोटिक दवा से संभव है, मगर इसकी समय पर जांच होनी जरूरी है। इसके लिए एमएलएन मेडिकल कॉलेज में किट उपलब्ध कराकर लैप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस की जांच शुरू करा दी गई है। - डॉ. आशु पांडेय, सीएमओ।