खुद को विशेष सचिव बताकर वारदात को दिया अंजाम
प्रयागराज (राजेश सिंह)। विद्युत विभाग के ठेकेदार से 1.01 करोड़ की ठगी का मामला सामने आया है। ठग ने खुद को विशेष सचिव शशांक त्रिपाठी बताकर उनकी फर्म को काली सूची से हटाने का झांसा देकर अलग-अलग बहाने से रकम ऐंठ ली। साइबर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
विद्युत विभाग के ठेकेदार अजय यादव की भारत इंटरप्राइजेज के नाम से फर्म है। यह फर्म विभाग में मैन पावर देने समेत अन्य सेवा संबंधित ठेका लेती है। साइबर पुलिस को अजय ने बताया कि सहसों निवासी मुमताज अली फर्म में पार्टनर था। जुलाई 2023 में मुमताज से साझेदारी भंग हो गई। इसके बाद से वह परेशान करने लगा। जीएसटी आयुक्त से फर्जी शिकायत पर बिजली विभाग ने उनका भुगतान रोक दिया और फर्म 13 जून 2024 को काली सूची में डाली अगले दिन उनके पास फोन आया। उसने खुद को मुख्य अभियंता वाराणसी जोन बताया। कहा कि एमडी साहब का निर्देश है कि सचिवालय लखनऊ से शंशाक त्रिपाठी (विशेष सचिव) फोन करेंगे, जो काम कहें कर देना। नंबर मुख्य अभियंता का होने पर विश्वास हो गया। थोड़ी देर बाद नए नंबर से व्हाट्सएप पर मैसेज आया। लिखा था कि तीन लड़कों को नौकरी पर रखना है। फिर फोन आया...खुद को शंशाक त्रिपाठी बताते हुए कहा कि मैसेज किया था क्या हुआ? इस पर जवाब दिया कि फर्म काली सूची में है। नियुक्ति नहीं हो सकती है।
फोनकर्ता ने कहा कि एमडी पूर्वांचल से बात हो गई है, लड़कों को नियुक्त कर दो कंपनी को काली सूची से बाहर करवा देंगे। फिर शशांक त्रिपाठी ने कहा कि उनकी पूर्वांचल एमडी शंभू कुमार से बात हुई है। छह जुलाई को लखनऊ आना कंपनी को काली सूची से बाहर करवा दूंगा। इसके बाद एक लड़के को कैंसर होने की बात कहकर 10 लाख रुपये मांगे गए। दो लाख रुपये देकर मदद कर दी। वहीं, शशांक की पत्नी राधा को इलाज के नाम पर 10 लाख और धर्मेंद्र सिंह को 15 लाख नकद दिए।
कहा कि पत्नी की मौत हो गई है...अब कुछ दिन बातचीत नहीं होगी। फिर फोन आया कि पत्नी की मौत में जांच चल रही है...अब मैं अपने पद पर नहीं हूं। वापस आने पर आपकी सभी समस्याओं का निस्तारण करवा दूंगा। उसी दिन 11 जुलाई 2024 को डीजीपी ऑफिस के नंबर से फोन आया, लेकिन बात नहीं हुई। शशांक त्रिपाठी को फोन करने पर बताया कि मेरी जांच के संबंध में (एडीजी अमिताभ यस) ने फोन किया होगा। उनको कह दूंगा कि आपको परेशान न करें। इस तरह फर्म को काली सूची से निकालने के नाम कुल 86 लाख रुपये और 15 लाख रुपये नकद चुके हैं।
शिकायतकर्ता ने बताया कि 30 जून को कई बार फोन आया। यह नंबर +91 से शुरू न होकर केवल + से शुरू था। इसके बाद अन्य नंबर से आए फोन पर खुद को यूपीपीसीएल का डायरेक्टर फाइनेंस बताया। पांच सितंबर को शशांक ने जीपी सिंह ठेकेदार वाराणसी का दिया। ये 10 लाख रुपये की व्यवस्था करा देंगे। बात करने पर एमडी कार्यालय वाराणसी बुलाया। इस बीच साले नीरज को अधिकृत असलहा समेत पकड़ लिया। साजिश के तहत एक फर्जी एफआईआर थाना चितईपुर वाराणसी में दर्ज कराई गई। साले को फिर भी जेल भेज दिया गया। दोष मुक्त के नाम पर 15 लाख और मांगे गए। आरोप है कि साझेदार मुमताज अली की जानकारी देने पर साइबर ठगी हुई है।