प्रयागराज (राजेश सिंह)। महाकुंभ में चोर, झपटमार और अपराधी भी सक्रिय रहे। देश-विदेश से आने वाले किसी श्रद्धालु के गले में झपट्टा मारकर सोने की चेन गायब की तो किसी का बैग और मोबाइल पार किया। अपराधियों ने कई महामंडलेश्वर और संतों को भी शिकार बनाया।
साइबर अपराधियों ने भी हेलीकाप्टर और कॉटेज बुकिंग के नाम पर ठगी की। मेले मारपीट और झगड़े की भी कई घटनाएं हुईं। इस तरह 45 दिन के महाकुंभ मेले में कुल 404 मुकदमे दर्ज किए हैं। इसमें सबसे ज्यादा मोबाइल चोरी का केस हैं।
दिव्य और भव्य महाकुंभ में श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों, कल्पवासियों और पर्यटकों की सुरक्षा, सहायता, सेवा के लिए अस्थायी रूप से 56 पुलिस थाना और 155 चौकी बनाई गई थी। इसके अलावा साइबर थाना और स्वाट टीम का भी गठन किया गया था।
मेला क्षेत्र के सभी पुलिस थाना क्षेत्र में होने वाली घटना, दुर्घटना से संबंधित प्राथमिकी दर्ज करने के लिए केवल कोतवाली थाने में व्यवस्था की गई थी। इसी थाने में ऑनलाइन जीटी चलती रही।
यहां दर्ज आंकड़े बता रहे हैं कि थाना के क्रियाशील होने पर पहला मुकदमा मोबाइल चोरी का लिखा गया था। इसके बाद 26 फरवरी को भी आखिरी एफआइआर भी मोबाइल चोरी की रही।
हालांकि, इस बीच एक संत पर बिजली विभाग के ठेकेदारों द्वारा हमला करने, महामंडलेश्वर सहित कई संत की गाड़ी से नकदी, कीमती सामान उड़ाने, देश के विभिन्न हिस्से से आए तमाम महिला व पुरुष स्नानार्थियों का सामान गायब करने, गुमशुदगी, साइबर क्राइम सहित अन्य मुकदमे लिखे गए।
मेला क्षेत्र में अपराध रोकने के लिए थाने की पुलिस के साथ ही स्वाट टीम को भी लगाया गया था। मौनी अमावस्या से पहले पुलिस टीम ने परेड क्षेत्र में चोरी करने वाले एक गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया, लेकिन उसके बाद कोई पकड़ में नहीं आया। जबकि इस दौरान भी चोरी और छिनैती की घटनाएं होती रहीं।
महाकुंभ मेले का समापन हो गया है। ऐसे में अब महाकुंभ मेले के कोतवाली थाने में दर्ज की गई सभी एफआईआर की फाइल कमिश्नरेट प्रयागराज में ट्रांसफर की जाएंगी। आमतौर पर मेला क्षेत्र के मुकदमों की फाइल दारागंज थाने को भेजी जाती है।
हालांकि, इस बार केस की संख्या अधिक होने के कारण विवेचना के लिए दूसरे थानों को भी ट्रांसफर किया जा सकता है। मेला पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही सभी केस कमिश्नरेट को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।