मांडा, प्रयागराज (शशिभूषण द्विवेदी)। एकतरफ तेज धूप के चलते फसल सूखने के कगार पर हैं, वहीं दूसरी ओर सिंचाई अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा अभी नहरों की साफ सफाई और मरम्मत ही की जा रही है।
ठंड कम पड़ने और तेज धूप शुरु होने से किसानों में काफी चिंता है। गेहूं, चना, मटर, सरसों, अरहर आदि फसलों की सिंचाई बेहद आवश्यक है। जनपद के दक्षिणी पहाड़ी भूभाग में स्थित मांडा विकास खंड के उपरौध पहाड़ पर बसे डेढ़ दर्जन ग्राम पंचायतों में सिंचाई का एकमात्र साधन उपरौध राजबहा से संबंधित नहरें हैं। उपरौध राजबहा से मांडा क्षेत्र में कुल छह माइनरों के माध्यम से सौ किमी लंबी नहरों का जाल है। मुख्य रुप से दसवार माइनर के माध्यम से निनवार मिर्जापुर जनपद से मांडा क्षेत्र की नहरों में पानी तब छोड़ा जाता है, जब मिर्जापुर जनपद के सिरसी जलाशय के अधिकारियों द्वारा पानी की आपूर्ति की जाती है। नियमतः जुलाई से 15 अगस्त तक सभी नहरों की साफ सफाई हो जानी चाहिए, लेकिन मांडा क्षेत्र के किसानों का दुर्भाग्य है कि अभी तक दसवार मुख्य नहर की सफाई और मरम्मत का ही काम पूरा नहीं हो पाया है। रविवार को भी सिंचाई कर्मचारियों द्वारा लतीफपुर गाँव के समीप दसवार माइनर की साफ सफाई और मरम्मत का काम जारी रहा। अभी नहरों के मरम्मत का काम मौजूद कर्मचारियों के मुताबिक एक पखवाड़े तक चलेगा। क्षेत्रीय किसानों का कहना है कि यदि एक सप्ताह के अंदर मांडा की नहरों में पानी न छोड़ा गया, तो तेज धूप के चलते गेहूं के साथ ही क्षेत्रीय किसान भी तबाह हो जाएंगे। उपरौध राजबहा के अलावा मांडा के देवरी स्थित गुलरिया जलाशय से संबंधित तिसेन तुलापुर माइनर, सिकरा माइनर, बघौरा माइनर में भी पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। इसके अलावा उमापुर पंप कैनाल से संबंधित बामपुर माइनर, दिघिया माइनर, उमापुर माइनर में भी पानी नहीं है। मांडा क्षेत्र की सभी नहरें पानी विहीन होने से किसानों की खेती तबाह होने के कगार पर है। तेज धूप के चलते प्रकृति का कोप और नहरों में पानी न होने से सिंचाई अधिकारियों की लापरवाही पर सूखती खेती आंखों में आंसू भरकर देखने के सिवा क्षेत्रीय किसान कुछ भी नहीं कर पा रहा है