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फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से इंटेलीजेंस शेयरिंग तक... भारत और कतर के बीच किन-किन मुद्दों पर हुई चर्चा?

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नई दिल्ली। खाड़ी के क्षेत्र में कतर पांचवां देश बन गया है, जिसके साथ भारत ने द्विपक्षीय रिश्तों को रणनीतिक संबंध का दर्जा दिया है। इस बारे में मंगलवार को कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई बैठक में फैसला किया गया और एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।

कतर खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह सदस्यों में से एक है और अब भारत के इनमें से सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ओमान व कुवैत समेत पांच देशों के साथ रणनीतिक संबंध स्थापित हो गए हैं।

संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी और अमीर तमीम हमद अल थानी के बीच हुई बैठक में कारोबारी व आर्थिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने को लेकर काफी बात हुई है, लेकिन रणनीतिक दर्जा मिलने के बाद अब दोनों देशों के बीच रक्षा व सुरक्षा क्षेत्र में व्यापक सहयोग का रास्ता खुल जाएगा। जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार ने पिछले पांच वर्षों में खाड़ी देशों के साथ रिश्तों को जो तवज्जो देनी शुरू की है, वह देश के रणनीतिक हितों के मुताबिक है। स क्षेत्र में एक करोड़ से ज्यादा भारतीय रोजगार व कारोबार कर रहे हैं, जिन्होंने वर्ष 2023 में भारत में तकरीबन 27 अरब डॉलर की राशि भेजी थी। यही नहीं, भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 55 प्रतिशत इन देशों से ही खरीदता है।

मुक्त व्यापार समझौते पर फोकस

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में सात बार यूएई, दो बार सऊदी अरब और एक-एक बार जीसीसी के अन्य चारों देशों की यात्रा कर चुके हैं। जीसीसी के साथ भारत मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भी बातचीत कर रहा है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर के बीच दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने पर सहमति बनी है।

दो दिन पहले ही विदेश मंत्रालय ने ओमान में इंडियन ओसियन कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था, जो इस क्षेत्र के सभी देशों के साथ मिलकर एक व्यापक सहयोग व्यवस्था बनाने की भारत की कोशिश को दिखाता है। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री और कतर के अमीर के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को व्यापक बनाने के साथ ही दूसरे क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विस्तार से बात हुई है। दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान से बचने के लिए पहले से किए गए एक समझौते में संशोधन भी किया गया है। कतर के अमीर सोमवार शाम नई दिल्ली पहुंचे थे। हवाई अड्डे पर उनकी आगवानी प्रधानमंत्री मोदी ने की थी, जो बताता है कि भारत इस रिश्ते को कितनी अहमियत दे रहा है।

राजकीय सम्मान के साथ स्वागत

मंगलवार को कतर के अमीर का राष्ट्रपति भवन में राजकीय सम्मान के साथ स्वागत किया गया। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी दो स्तरों पर बात हुई। प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई वार्ता में प्रधानमंत्री मोदी के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, एनएसए अजीत डोभाल समेत कैबिनेट के कुछ दूसरे सदस्य शामिल हुए। अमीर तमीम अल-थानी भी अपने कैबिनेट के तकरीबन सभी वरिष्ठ सदस्यों के साथ आए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों और कारोबारियों के एक बेहद उच्चस्तरीय दल के साथ भारत का दौरा करने के लिए उनको धन्यवाद भी कहा।

सीमा पार आतंकवाद की निंदा की

भारत और कतर ने अपने मौजूदा द्विपक्षीय कारोबार 15 अरब डॉलर को अगले पांच वर्षों में 30 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। मौजूदा ऊर्जा सहयोग को किस तरह आगे बढ़ाया जाए, इसको लेकर भी कई विकल्पों पर बात हुई है। भारत ने कतर के निवेश फंड्स को यहां ढांचागत क्षेत्रों में निवेश के लिए आमंत्रित किया है। कतर के निवेशकों की प्रतिक्रिया काफी उत्साहजनक है। दोनों नेताओं के बीच इजरायल-हमास के मौजूदा संघर्ष पर भी चर्चा हुई है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों नेताओं ने अपने-अपने देश का रुख इस मामले में सामने रखा। प्रधानमंत्री मोदी और अमीर शेख तमीम ने सीमा पार आतंकवाद समेत हर तरह के आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की है। देर शाम जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि जल्द ही दोनों देश खुफिया जानकारियां साझा करने, मादक द्रव्यों की तस्करी, मनी लांड्रिंग और साइबर अपराध आदि के विरुद्ध सहयोग मजबूत बनाने की व्यवस्था करेंगे।


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