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माननीय सदस्य, दुनिया के किस देश में रह रहे हो...ये भारत है भारतः ओम बिरला

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नई दिल्ली। संसद के चालू बजट सत्र का आज आठवां दिन है। आज भी दोनों सदनों में आम बजट 2025-26 पर चर्चा हो रही है। इसी बीच डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने लोकसभा में संस्कृत भाषा को लेकर एक ऐसी बात कह दी, जिस पर स्पीकर ओम बिरला (व्ड ठपतसं) को आपत्ति जतानी पड़ी। इतना ही नहीं, उन्होंने डीएमके सांसद को सभा में ही खरी-खरी सुना दी। दरअसल, डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने अन्य भाषाओं के साथ-साथ संस्कृत में भी बहस का अनुवाद किए जाने पर आपत्ति जताई।

उन्होंने कहा कि आरएसएस की विचारधारा के कारण लोकसभा की कार्यवाही का संस्कृत में ट्रांसलेट कर टैक्सपेयर के पैसे बर्बाद किए जा रहे हैं। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पलटवार करते हुए कहा कि संस्कृत हमारे देश की प्राथमिक भाषा रही है। बता दें कि प्रश्नकाल समाप्त होने के तुरंत बाद ओम बिरला ने कहा कि उन्हें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि छह और भाषाओं., बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, संस्कृत और उर्दू को उन भाषाओं में लिस्ट में शामिल किया गया है, जिनमें संसद सदस्यों के लिए ट्रांसलेशन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

स्पीकर की इस बात पर डीएमके सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद स्पीकर ने पूछा कि आखिर आप लोगों को समस्या क्या है। इसके बाद डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने कहा कि संस्कृत में भाषा ट्रांसलेट कराकर सरकार टैक्सपेयर के पैसे बर्बाद कर रही है। इस पर आपत्ति जताते हुए स्पीकर ने कहा कि माननीय सदस्य आप किस देश में जी रहे हैं। यह भारत है भारत।  संस्कृत भारत की प्राथमिक भाषा रही है। मैंने 22 भाषाओं की बात की, सिर्फ संस्कृत की नहीं। आप संस्कृत पर ही आपत्ति क्यों जता रहे हैं? संसद में 22 मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं। हिंदी के साथ-साथ संस्कृत में भी कार्यवाही का अनुवाद होगा।

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