कुम्भनगर (राजेश शुक्ल)। वैलेंटाइन डे के अवसर पर जब प्रेम और स्नेह की भावनाओं का आदान-प्रदान होता है। तब परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती ने दुनिया भर के विभिन्न देशों से आए श्रद्धालुओं को एक विशेष संदेश दिया है ’धरती ही हमारी वैलेंटाइन है।’
इस अवसर पर उन्होंने संगम के आस-पास और अरैल घाट पर एक महा स्वच्छता अभियान चलाया। इस अभियान का उद्देश्य पृथ्वी, जल, वायु और पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जन जागरूकता फैलाना है। यह संदेश देना था कि अगर हम धरती से प्यार करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों का उद्धार संभव होगा। स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती ने संदेश दिया कि हम सभी को धरती के प्रति जिम्मेदार बनना होगा।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा- हमारी धरती हमारी वैलेंटाइन है। वह हमें जीवन देती है, अब हमारी बारी है कि हम अपनी धरा को प्रेम और संरक्षण प्रदान करें। अगर हम धरती को संरक्षण देंगे, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और हरित बनेगी। हमारे पूज्य संतों और ऋषियों ने हमेशा धरती के प्रति प्रेम और सम्मान का संदेश दिया। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि जब तक हम अपनी धरती का ख्याल नहीं रखेंगे, तब तक हम अपने भविष्य को सुरक्षित नहीं कर सकते। हर एक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, चाहे वह कचरा प्रबंधन हो या जल संरक्षण हो या वृक्षारोपण हो, यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा- हम जो प्लास्टिक कचरा अपनी धरती पर डालते हैं, वह भविष्य के लिए घातक है। यही समय है जब हम अपने पर्यावरण को बचाने के लिए कदम उठाएं। हम सभी अपनी जिम्मेदारी समझें, तो हम दुनिया को एक बेहतर स्थान बना सकते हैं। महाकुंभ बाहर व भीतर की स्वच्छता का संदेश देता है। प्लास्टिक प्रदूषण आज हमारी धरती के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। यह न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि हमारे जल स्रोतों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी यह गंभीर संकट उत्पन्न कर रहा है। इसलिए हमें प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करना होगा और उसे पुनः उपयोग और पुनर्नवीकरण के तरीकों से निपटना होगा। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, हमारा उद्देश्य सिर्फ गंदगी को साफ करना नहीं था, बल्कि यह समझाना था कि सफाई सिर्फ हमारे घरों और शहरों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह हमारी धरती की रक्षा करने का एक तरीका है। जब तक हम अपनी धरती को साफ नहीं रखते, हम उसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित नहीं रख सकते। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी का आह्वान करते हुए कहा, हमारी आगे आने वाली पीढ़ी के लिए एक हरी-भरी और साफ-सुथरी धरती छोड़ना हमारा कर्तव्य है। हम जितना जल्दी इस दिशा में कदम उठाएंगे, उतना ही अधिक हम अपनी धरती को बचा सकते हैं।