कुंभ नगर (राजेश सिंह)। त्रिविधि ताप-पाप नाशिनी त्रिवेणी (संगम) तट पर आस्था का उमड़ता ज्वार दिखा तो उल्लास और उमंग की लहरें भी। आस्थावान सनातनियों का विशाल समूह विश्वास की डोर थामे संगम की ओर बढ़ता रहा। पुण्य बेला में तीर्थराज प्रयाग में उल्लास चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया। अमीर था न कोई गरीब। आम और खास, छुआछूत का भेद भी नहीं था। सबकी पहचान एक एक थी-सनातनी।
श्रद्धा की नौका पर आसीन होकर आस्था की पतवार थामकर बढ़ते रहे। लक्ष्य सबका एक था देवाधिदेव महादेव शिव और माता पार्वती के मिलन पर्व महाशिवरात्रि पर संगम में डुबकी लगाना। बच्चे, युवा व बुजुर्गों की भीड़ रात 12 बजे से संगम तट पहुंचने लगी। हर-हर महादेव..., बम बम भोले..., शिव शम्भू... का उद्घोष करते श्रद्धालुओं ने संगम में गोता लगाया तो शिव-शक्ति से आत्मीय मिलन की अनुभूति हुई।
ब्रह्मंड की समस्त शक्तियों के अवतरित होने का आभास हुआ। आत्मसंतुष्टि, आध्यात्मिक चेतना की चमक श्रद्धालुओं में देखते बनी। लौकिक और अलौकिक ऊर्जा के साक्षी बने। वायु सेना के जवानों ने आसमान में अद्भुत प्रदर्शन करके हर किसी को रोमांचित कर दिया। अंतिम स्नान पर्व पर 1.53 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई। दुनिया के दिव्यतम अनुष्ठान महाकुंभ में 45 दिनों तक चले यज्ञ, अनुष्ठान में दुनिया ने सनातन का वैभव देखा।
संतों की तपस्या, नागा संन्यासियों के त्याग और किन्नरों के समर्पण ने अभिभूत किया। यह उसी का प्रभाव है कि पूरे महाकुंभ में 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम स्नान किया। महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर उल्लास, उत्साह और उमंग का वातावरण रहा। संगम सहित गंगा के समस्त घाटों पर दिनभर स्नान चला। सूर्याेदय के बाद तपिश झेलनी मुश्किल थी, लेकिन उसमें आस्था भारी पड़ी।
हर पल भीड़ बढ़ती गई। अक्षयवट, काली, त्रिवेणी, नागवासुकि, गंगोली शिवालय मार्ग श्रद्धालुओं से पट गए। देश-विदेश से आए श्रद्धालु कई किलोमीटर तक पैदल चलने के बावजूद प्रफुल्लित थे। सुविधा की आस थी न किसी प्रकार की परेशानी का उलाहना।
त्रिवेणी तट पर संपूर्ण विश्व एकाकार हो गया। अध्यात्म की ऊष्मा का प्रवाहमान रही। हेलीकाप्टर से बरसती पुष्पों की पंखुडियों ने ब्रह्मांड से अमृत की बूंदे बरसने की दिव्य अनुभूति करायी। चहुंदिश सनातन संस्कृति की वैभव पताका लहरायी। आस्थायुक्त अधीरता व डुबकी लगाकर आते समय मुखमंडल पर असीम संतोष का भाव लिए श्रद्धालु लौटे।
13 दिसंबर को आए प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 दिसंबर को प्रयागराज आए थे। उन्होंने अक्षयवट, सरस्वती कूप, बड़े हनुमान मंदिर, महर्षि भरद्वाज और श्रृंगवेरपुर कारिडोर का लोकार्पण किया। साथ ही लगभग सात हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण किया था। इसे महाकुंभ का अनौपचारिक लोकार्पण माना गया। प्रधानमंत्री ने पांच फरवरी को संगम स्नान करने के लिए पुनरू प्रयागराज आए थे।
13 जनवरी को शुभारंभ
महाशिवरात्रि पर्व के साथ संगम तट पर पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को आरंभ हुए महाकुंभ की पूर्णाहुति (समापन) हो गई। यज्ञ व अनुष्ठान पूर्ण हो गया। संगम की रेती पर तंबू में रहकर जप-तप में लीन रहे संत व श्रद्धालु मेला क्षेत्र से विदा होने लगे हैं। श्रद्धालुओं ने मनकामेश्वर, दशाश्वमेध महादेव, नागवासुकि, हाटकेश्वरनाथ महादेव आदि शिवालयों में दर्शन-पूजन व अभिषेक किया।
घाट पर किया अभिषेक
महाशिवरात्रि पर्व पर संगम व गंगा के घाट पर श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद तीर्थपुरोहितों के मंत्रोच्चार के बीच दान किया। घाट पर अभिषेक किया। स्नान के बाद पार्थिव शिवलिंग बनाकर मंत्रोच्चार के बीच दूध, गंगाजल, गन्ने के रस आदि ने रुद्राभिषेक करके दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति व मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना की।
हर सम्प्रदाय के संत बने साक्षी
यह पहला महाकुंभ है जिसमें उत्तर और दक्षिण के प्रमुख धर्मगुरु उपस्थित रहे। हर सम्प्रदाय के संत शामिल हुए। पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती, श्रृंगेरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी विधुशेखर भारती, कांचि कामकोटि पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी शंकर विजयेंद्र सरस्वती, शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती सहित हर पंथ और सम्प्रदाय के संतों ने संगम की रेती पर लोक कल्याण के निमित्त जप-तप किया।
मोदी की संकल्पना को योगी ने किया सिद्ध
रवींद्र पुरी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने कहा कि महाकुंभ का सकुशल संपन्न होना संकल्प की सिद्धि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सनातन के महापर्व को लेकर जो संकल्प लिया था उसे कर्मयोगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कठिन परिश्रम से सिद्ध कर दिया। यह अकल्पनीय कार्य है, जिसे कोई तपस्वी ही पूरा कर सकता है।
धर्मविरोधी ताकतों ने महाकुंभ में विघ्न डालने का निरंतर प्रयास किया। बयानबाजी, इंटरनेट मीडिया में अनर्गल पोस्ट करके माहौल खराब करने का प्रयत्न हुआ। सनातनियों की भावनाओं को भड़काया गया, लेकिन कोई कुचक्र सफल नहीं हुआ, क्योंकि महाकुंभ के पवित्र अनुष्ठान के पीछे मोदी और योगी का समर्पण था।
45 दिन के महाकुंभ मेले में दर्ज हुए 404 केस
महाकुंभ में चोर, झपटमार और अपराधी भी सक्रिय रहे। देश-विदेश से आने वाले किसी श्रद्धालु के गले में झपट्टा मारकर सोने की चेन गायब की तो किसी का बैग और मोबाइल पार किया। अपराधियों ने कई महामंडलेश्वर और संतों को भी शिकार बनाया। साइबर अपराधियों ने भी हेलीकाप्टर और काटेज बुकिंग के नाम पर ठगी की।
मेले मारपीट और झगड़े की भी कई घटनाएं हुईं। इस तरह 45 दिन के महाकुंभ मेले में कुल 404 मुकदमे दर्ज किए हैं। इसमें सबसे ज्यादा मोबाइल चोरी का केस है। दिव्य और भव्य महाकुंभ में श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों, कल्पवासियों और पर्यटकों की सुरक्षा, सहायता, सेवा के लिए अस्थायी रूप से 56 पुलिस थाना और 155 चौकी बनाई गई थी।
इसके अलावा साइबर थाना और स्वाट टीम का भी गठन किया गया था। मेला क्षेत्र के सभी पुलिस थाना क्षेत्र में होने वाली घटना, दुर्घटना से संबंधित प्राथमिकी दर्ज करने के लिए केवल कोतवाली थाने में व्यवस्था की गई थी। इसी थाने में आनलाइन जीटी चलती रही। यहां दर्ज आंकड़े बता रहे हैं कि थाना के क्रियाशील होने पर पहला मुकदमा मोबाइल चोरी का लिखा गया था। इसके बाद 26 फरवरी को भी आखिरी एफआइआर भी मोबाइल चोरी की रही।
केंद्रीय, उप केंद्रीय और सेक्टर अस्पतालों में जनवरी 2025 के पहले सप्ताह से महाशिवरात्रि तक छह लाख 30 हजार 864 मरीजों का इलाज किया गया, जबकि संदर्भित (रेफर) केवल 2422 किए गए। ओपीडी से लेकर माइनर और बड़े आपरेशन तक इन्हीं टेंट में बने अस्पतालों में हुए। केंद्रीय अस्पताल में 87601 मरीजों को चिकित्सा परामर्श दिया गया, 4888 मरीज भर्ती किए गए और 18 बच्चों के जन्म हुए। दो बच्चों के जन्म सेक्टर अस्पतालों में हुए थे।
704 लोगों का केंद्रीय अस्पताल के आइसीयू में हुआ इलाज।
03 गंभीर मरीजों को एयर एंबुलेंस से भेजा दिल्ली।
339 की जान हृदयाघात होने पर बचाई गई।
57 की जान ब्रेन स्ट्रोक की स्थिति में बचाई गई।
34 की जान सीपीआर देकर बचा ली गई।
125 एंबुलेंस की सेवाएं 24 घंटे जारी रहीं।
400 डाक्टरों की रही तैनाती
लगभग 400 डाक्टरों, 182 नर्सिंग स्टाफ, 150 वार्ड ब्वाय, 354 फार्मासिस्ट और 60 लैब टेक्नीशियन की तैनाती की गई थी। अस्पतालों में तीन पालियों में स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई और 40 विशेषज्ञ डाक्टरों को लगाया गया था।
45 दिनों में 66 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का महारिकार्ड
आध्यात्मिकता की नई ऊंचाइयों को छुने के साथ महाकुंभ ने भव्यता और दिव्यता के मामले में दुनियाभर में अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। योगी सरकार ने प्रयागराज का कायाकल्प कराया। आम से लेकर खास तक, हर किसी ने इस पवित्र अवसर पर अपनी आस्था को साकार किया।
13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर 1.70 करोड़, 14 जनवरी मकर संक्रांति पर 3.50 करोड़, 29 जनवरी मौनी अमावस्या को 7.64 करोड़, 3 फरवरी बसंत पंचमी को 2.57 करोड़, 12 फरवरी माघ पूर्णिमा को 2.04 करोड़ और 26 फरवरी महाशिवरात्रि को 1.53 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु रिकार्ड किए गए।
15 फरवरी से 26 फरवरी तक एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब संख्या एक करोड़ से कम रही हो। यहां पर 45 दिनों में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, जो अपने आप में सबसे बड़ा इतिहास बन गया है। भारत और चीन की जनसंख्या ही इससे ज्यादा है। अब तक दुनिया में किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या अन्य आयोजनों में इतनी भीड़ नहीं जुटी है।