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महाकुंभः हाउस अरेस्ट हुए प्रयागराज के लोग,दा महीने से स्कूल बंद

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प्रयागराज (राजेश शुक्ल)। प्रयागराज महाकुंभ में 59 करोड़ से ज्यादा लोग संगम स्नान कर चुके हैं। इसकी वजह से शहरी लोगों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोग अपने ही घरों में एक तरह से ‘लॉक’ होकर रह गए हैं।

शहर में एक चौराहे से दूसरे चौराहे तक जाने में लोगों को 4 से 5 घंटे लग रहे हैं। साथ ही रोजमर्रा के सामान जैसे दूध, ब्रेड मिलने में भी बहुत दिक्कत हो रही है। यूपी बोर्ड ने 24 फरवरी को होने वाली 10वीं-12वीं की परीक्षा रद्द कर दी है। उस दिन की परीक्षा बाद में कराई जाएगी।

मेरे घर के बाहर गली में आज तक जीवन में कभी जाम नहीं लगा। मैं लगभग 50 साल से इस शहर में रह रहा हूं। लेकिन अब ऐसा आलम है कि हम घर के बाहर पैदल भी नहीं निकल पा रहे। अब महाकुंभ का प्रचार बंद कर लोगों को यहां आने से रोकना चाहिए। इसी में सबकी भलाई है।

अपनी यह परेशानी सिर्फ विद्यासागर मिश्रा ही नहीं बता रहे हैं, बल्कि अब खुलकर प्रयागराज में बरसों से रह रहे लोग बोल रहे हैं।

जगह-जगह बैरिकेडिंग से लोग अपने रोजाना के काम भी नहीं कर पा रहे हैं। अमृत स्नान निपटने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि अब शहर में भीड़ कम होगी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। रोजाना एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आ रहे हैं। पढ़िए प्रयागराज शहर के लोग किन समस्याओं से जूझ रहे हैं३

स्कूल बंद, कॉलेज और यूनिवर्सिटी पहुंचने में देरी

शहर के लगभग सभी स्कूल बंद हैं। दो महीने से यही स्थिति है। ऑनलाइन क्लास चल रही हैं। यहां तक कि परीक्षा छूटने पर दूसरी डेट में कराने की प्रशासन ने घोषणा की है। कॉलेज और यूनिवर्सिटी में समय पर छात्र और टीचर नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसकी वजह से पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। छात्रों का कहना है कि सिर्फ स्टडी मटेरियल से पढ़ाई कैसे होगी, जब तक प्रॉपर क्लास नहीं चलेगी।

छात्रा हिमांशी उपाध्याय कहती हैं- कॉलेज जाने में देर हो जाती है। कई बच्चे तो जाम की वजह से आ भी नहीं रहे हैं। अप्रैल में हमारे एग्जाम हैं। प्रोफेसर भी समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, हमारी पढ़ाई सफर कर रही है।

ऑटो, ई-रिक्शा तक नहीं मिल रहे

लोकल लोगों के सामने एक और बड़ी दिक्कत है। उन्हें जरूरत पड़ने पर ऑटो और ईदृरिक्शा तक नहीं मिल रहे हैं। इसकी वजह से वे कहीं आदृजा नहीं पा रहे हैं।

छात्रा जैनब कहती हैंदृ कई सारी प्रतियोगी परीक्षाएं हो रही हैं, जिनके सेंटर 10 किमी के अंदर दिए जाते हैं। उन सेंटरों तक पहुंचने के लिए लोगों को कई साधन बदलने पड़ रहे हैं। उसके बाद भी कुछ लोग समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं। साथ ही भीड़ और जाम ज्यादा होने की वजह से शहर में डिलीवरी ऐप्स भी सामान डिलीवर नहीं कर रहे हैं।

तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल पहुंचना भी अब किसी चुनौती से कम नहीं है। लोगों को इलाज करवाने के लिए भी 10 बार सोचना पड़ रहा है।

अतुल न्यायाधीश कहते हैं, लोकल लोगों के लिए सबसे ज्यादा परेशानी वाली बात यह है कि वो बाहर नहीं जा पा रहे हैं। ना तो किसी काम से और ना ही घूमने कहीं बाहर निकल पा रहे हैं। अगर निकल भी पा रहे हैं तो 4-5 घंटे तो एक चौराहे से दूसरे चौराहे पहुंचने में ही लग जा रहे हैं। यह बहुत बड़ा इश्यू है।

अतुल का कहना है कि शहर में कार निकालना बहुत मुश्किल हो गया है। कई जगह तो बाइक भी चलाना मुश्किल हो गया है। बाकी यहां के लोकल लोग बाहर से आने वालों के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। जिससे जितना हो पा रहा है, वो मदद कर रहा है।

जाम और रास्ते बंद होने की वजह से व्यापार ठप, खरीदार नहीं मिल रहे

दुकानदारों को भी कई तरीकों की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार तो सामान न होने के कारण अपनी दुकान बंद करनी पड़ रही है। अचानक से इतनी ज्यादा भीड़ बढ़ने के कारण दुकानों में सामान खत्म होने की कगार पर आ गया है। रोजमर्रा के सामान दुकानों तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। इसी कारण ज्यादातर दुकानदार अपनी दुकानें बंद करने को मजबूर हैं।

दुकानदार धर्मेंद्र त्रिपाठी कहते हैं- ‘इतनी भीड़ की वजह से बिजनेस में काफी दिक्कत हो रही है। सारे रास्ते सील कर दिए गए हैं, क्योंकि यह गालियां स्टेशन की तरफ जाती हैं। इसकी वजह से आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है। हमको लंबे रास्ते लेकर घूम कर आना पड़ता है। साथ ही सामान मंगवाने में काफी दिक्कत हो रही है।श्

उनका कहना है कि पैदल ही जो थोड़ा-बहुत सामान आ पता है, वो आ पाता है, बाकी कोई साधन नहीं है। गलियों की शुरुआत में बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं, जिसकी वजह से कस्टमर्स नहीं आ पा रहे हैं। बस 10ः का व्यापार इस समय चल रहा है।

दुकानदार अनुज जायसवाल बताते हैं, जाम की समस्या तो विकराल है। एक महीने से दुकान में सामान नहीं आया है। पूरी दुकान खाली हो गई है। ऐसा हुआ तो लोगों को खाने की भी दिक्कत हो सकती है।

इसी कारण से सामान की ब्लैक मार्केटिंग भी हो रही है। सामान दुकानदारों को महंगे मिल रहे हैं, जिसकी वजह से बहुत नुकसान हो रहा है। लगभग सभी जगह की दुकानें खाली हैं, सिर्फ दूध और ब्रेड आ पा रहा है।

व्यापारी राजेश चौरसिया ने कहा, प्रयागराज का ट्रैफिक सिस्टम पूरी तरह से अस्तदृव्यस्त हो चुका है। अब इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए लगता है कि ये पूरा महीना ऐसे ही जाएगा। मेले में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर जिस तरह की भीड़ थी, ठीक वैसा ही माहौल आज भी दिख रहा है। जनता मान नहीं रही है।

उन्होंने कहा, हम जनता से हाथ जोड़कर निवेदन कर रहे हैं कि वो आना कम कर दें। मां गंगा कहीं नहीं जा रही हैं। आप लोग बाद में आएं और संगम में स्नान करें। इस समय चारों तरफ अपार भीड़ है। आनेदृजाने के साधन नहीं मिल रहे हैं। प्रयागराज के दुकानदारों ने श्रद्धालुओं की सेवा के लिए अपने वाहन सड़क पर उतार दिए हैं। श्रद्धालुओं को भी खानेदृपीने और पैदल चलने की दिक्कतें आ रही हैं।

नौकरीपेशा लोगों को चार से पांच घंटे ज्यादा लग रहे

ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों को समय से दो घंटे पहले निकलना पड़ता है। लौटने में भी दो से 3 घंटे ज्यादा लगता है। ऐसे में एक आम आदमी की नॉर्मल वर्किंग शिफ्ट 13 -14 घंटे की हो गई है।

मेडिकल स्टाफ पूजा कहती हैंः महाकुंभ के कारण मुझे रोजाना कम से कम 7-8 किलोमीटर या उससे ज्यादा पैदल चलना पड़ता है। इसकी वजह से न हम समय पर अस्पताल पहुंच पाते हैं और न ही अपने घर। इसी कारण से मरीजों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इतने ज्यादा ट्रैफिक की कल्पना हम लोगों ने कभी नहीं की थी।

कोर्ट की सुनवाई में भी परेशानी

जिला कोर्ट और हाईकोर्ट में वकील को कोर्ट पहुंचने में बहुत दिक्कत हो रही है। इसकी वजह से मुकदमों की सुनवाई में भी परेशानी आ रही है। आए दिन अधिकारियों के खिलाफ गंभीर वारंट जारी हो रहे हैं और उनकी सुनवाई में दिक्कत हो रही है। वकीलों का कहना है कि सरकार प्रयागराज में लग रहे जाम का न तो कोई निराकरण कर रही है और ना ही यहां आने वाली जनता को सही रास्ता दिखा पा रही है।

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