नई दिल्ली। पाकिस्तान टीम इस बार चौंपियंस ट्रॉफी में अपना खिताब नहीं बचा पाएगी। न्यूजीलैंड के हाथों बांग्लादेश को मिली हार के बाद ये तय हो गया। पाकिस्तान ने साल 2017 में भारत को मात देते हुए ये खिताब अपने नाम किया था। आठ साल बाद जब ये टूर्नामेंट लौटा और पाकिस्तान को ही इसका मेजबान बनाया गया तो लगा कि पाकिस्तान अपना खिताब बचा लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा।
न्यूजीलैंड ने बांग्लादेश को हराया। इससे पहले उसने चौंपियंस ट्रॉफी के पहले मैच में पाकिस्तान को ही हराया था। दो मैच जीतकर वो सेमीफाइनल में पहुंच गई। वहीं पाकिस्तान को न्यूजीलैंड के बाद भारत ने हराया था। उसे दो मार मिल चुकी है जिससे उसकी संभावनाएं धूमिल हो गई थीं। न्यूजीलैंड और बांग्लादेश मैच पर पाकिस्तान का भविष्य टिका हुआ था।
भारत ने रविवार को जब पाकिस्तान को छह विकेट से मात दी थी तो ये तय माना जा रहा था कि पाकिस्तान अब सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाएगा। हालांकि गणित के हिसाब से वह आधिकारिक तौर पर बाहर नहीं हुआ था। उसकी उम्मीदें इस बात पर टिकी हुई थीं कि बांग्लादेश उलटफेर करते हुए न्यूजीलैंड को हरा दे। इसके बाद वह बांग्लादेश को मात दे और भारत न्यूजीलैंड को हरा दे।
अगर ऐसा होता तो ग्रुप-ए में भारत को छोड़ बांग्लादेश, न्यूजीलैंड और पाकिस्तान तीनों के बराबर अंक होते और फिर बात नेट रन रेट पर आती जिसमें पाकिस्तान का चांस बनता। लेकिन न्यूजीलैंड ने बांग्लादेश को हरा ये समीकरण बिगाड़ दिया। न्यूजीलैंड और भारत दोनों के दो-दो जीत के साथ चार-चार अंक हो गए हैं। बांग्लादेश और पाकिस्तान का खाता तक नहीं खुला है। इन दोनों टीमों को अब सिर्फ एक मैच खेलना है और ये ज्यादा से ज्यादा दो अंक तक ही पहुंच सकती हैं।
पाकिस्तान के पास अपने देश में वो काम करने का मौका था जो 15 साल से नहीं हुआ था और सिर्फ एक ही टीम कर पाई है। अभी तक सिर्फ एक ही टीम है जिसने चौंपियंस ट्रॉफी में अपना खिताब बचाया है और लगातार दो बार ये ट्रॉफी उठाई है। ये काम किया है ऑस्ट्रेलिया ने। रिकी पोटिंग की कप्तानी में इस टीम ने 2006-07 और 2009-10 में खिताब अपने नाम किए थे।
पाकिस्तान अगर ये काम कर जाती तो खिताब बचाने वाली दूसरी टीम होती। उसके पास ये मौका था क्योंकि वह अपने घर में ही खेल रही थी। हालांकि कमजोर खेल ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया और फिर किस्मत ने भी उसका साथ देने से मना कर दिया।