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उत्तर बिहार का बढ़ा दबदबा, नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार से बदले समीकरण

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मुजफ्फरपुर। नीतीश सरकार के वर्तमान कार्यकाल में तीसरी बार मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। बुधवार को हुए मंत्रिमंडल के विस्तार से राज्य की राजनीति में उत्तर बिहार का दबदबा बढ़ गया है। खासकर मिथिलांचल का। इस क्षेत्र से अब कुल 13 मंत्री हो गए हैं। इनमें से सबसे अधिक भागीदारी दरभंगा की हो गई है। यहां से अब चार मंत्री हो गए हैं।

मुजफ्फरपुर को भी लंबे समय बाद दो मंत्री पद मिला है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह विस्तार काफी महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में एनडीए मजबूत है। यही कारण है कि इस विस्तार में इसका खयाल रखा गया है। वहीं, जाति समीकरण को संतुलित किया गया है। सवर्ण के साथ पिछड़ा और अति पिछड़ा को साधने का प्रयास किया गया है।

एनडीए इसका फायदा विधानसभा चुनाव में लेना चाहेगा। इस क्षेत्र में विधानसभा की 71 सीटें हैं। इनमें से एनडीए के पास 51 सीट है। यानी 70 प्रतिशत से अधिक सीटों पर एनडीए का कब्जा है। समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर को छोड़ दें तो अन्य जिलों में एनडीए काफी मजबूत है। दरभंगा की 10 में से नौ तो मधुबनी में दस में आठ सीटों पर एनडीए का कब्जा है। यहां से क्रमश: चार और दो मंत्री हैं।

पहली बार मुजफ्फरपुर को एक साथ मिले दो मंत्री

नीतीश सरकार में पहली बार मुजफ्फरपुर को एक साथ दो मंत्री मिले। इस बार यहां के दोनों लोकसभा क्षेत्र से एक-एक प्रतिनिधित्व मिला है। जदयू-राजद की सरकार में वैशाली लोकसभा क्षेत्र की साहेबगंज सीट से राम विचार राय को कृषि मंत्री बनाया गया था। यहीं के विधायक डॉ. राजू सिंह को मंत्रिमंडल में जगह मिल गई। इसी लोकसभा क्षेत्र की कांटी सीट से राजद विधायक इसरायल मंसूरी को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी।

महागठबंधन से अलग होने पर नीतीश मंत्रिमंडल में कुढ़नी विधायक केदार प्रसाद गुप्ता को मंत्री पद मिला था। समस्तीपुर में 10 में से महज पांच विधायक एनडीए के हैं, मगर यहां से दो मंत्री हैं। सरायरंजन विधायक विजय कुमार चौधरी दबदबा वाले मंत्री हैं। वहीं महेश्वर हजारी एमएलसी हैं।

मंत्रियों की संख्या के हिसाब से चंपारण थोड़ा पिछड़ गया। पूर्वी और पश्चिम चंपारण से महज एक-एक मंत्री ही हैं, जबकि यहां 21 में 17 विधायक एनडीए के हैं। इससे चंपारण में थोड़ी मायूसी हो सकती है।

लोकसभा चुनाव में एनडीए को सीटों का अधिक घाटा तो नहीं हुआ, मगर कई जगहों पर जीत का अंतर कम हुआ तो कड़े संघर्ष की स्थिति भी रही। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के साथ तीसरा कोण जनसुराज का हो सकता है। माना जा रहा कि एनडीए और महागठबंधन से नाराज वोटर ही तीसरे विकल्प की ओर जा सकते हैं।

परंपरागत वोटरों को साधने की कोशिश

मंत्रिमंडल विस्तार में परंपरागत वोटरों को साधने के साथ नाराजगी की स्थिति कम करने का प्रयास किया गया है। सवर्ण चेहरा के रूप में जीवेश मिश्रा के साथ राजू सिंह को शामिल किया गया है। इससे भूमिहार और राजपूत की नाराजगी कम हो सकती है। बक्सर, आरा, औरंगाबाद और काराकाट लोकसभा सीट पर एनडीए की हार के पीछे राजपूत वोटरों की नाराजगी भी मानी जा रही थी। राजू सिंह को मंत्री बनाकर इसे पाटने का प्रयास हुआ है।

जायसवाल ने दिया इस्तीफा, मोतीलाल ने की भरपाई

मिथिलांचल और तिरहुत में जीवेश मिश्रा अगले चुनाव में भूमिहार चेहरा होंगे। मिथिलांचल में बड़े ब्राह्मण चेहरा उद्योग एवं पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रौं पहले से मंत्रिमंडल में हैं। मंत्रिमंडल से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल हट गए। रीगा विधायक मोतीलाल प्रसाद को जगह देकर इसकी भरपाई की गई है। वहीं, दरभंगा विधायक संजय सरावगी का व्यावसायियों के एक बड़े वर्ग पर प्रभाव है।

एनडीए अगले चुनाव में इसका लाभ लेना चाहेगा। बिहारशरीफ विधायक सुनील कुमार कुशवाहा और अमनौर विधायक कृष्ण कुमार मंटू कुर्मी हैं। इन दोनों की पकड़ मुजफ्फरपुर और आसपास के जिले में भी है। लोकसभा चुनाव में कुशवाहा वोटर भी कुछ नाराज रहा। उसकी भी भरपाई का प्रयास इन्हें मंत्री बनाकर किया गया है। क्षेत्र में सहनी समाज से मदन सहनी, हरि सहनी और शीला मंडल पहले से हैं।

इनमें अररिया के विजय मंडल को जोड़कर इसे और मजबूती दी गई है। विजय केवट हैं। मिथिलांचल और तिरहुत में यह वोट काफी महत्वपूर्ण है। अगर विधानसभा चुनाव में वीआइपी महागठबंधन के साथ जाती है तो सहनी समाज के इन मंत्रियों से समीकरण को संतुलित किया जा सकता है। वहीं केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री डा. राजभूषण चौधरी का भी उपयोग एनडीए करेगा।

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