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रजत पाटीदार कभी चलने को थे मोहताज, कड़ा संघर्ष किया और बन गए विराट कोहली के कप्‍तान

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इंदौर। क्रिकेट के लिए कभी अपनी शादी का कार्यक्रम टालने वाला खिलाड़ी दो साल पहले पैर में चोट के चलते चलने से भी मोहताज था, साथी क्रिकेट के मैदान में चौके-छक्के लगा रहे थे और वह बाहर से उन्हें देख रहा था।

तब किसी ने सोचा नहीं था कि यह ऐसी वापसी करेगा कि विराट कोहली जैसे दिग्गज भी इसकी कप्तानी में खेलेंगे। यह कहानी है इंदौर के रजत पाटीदार की, जिन्हें आईपीएल की फ्रेंचाइजी रायल चौलेंजर्स बेंगलुरू ने अपना कप्तान बनाने की घोषणा की है। यह भी कम हैरानीभरा नहीं है कि कभी रजत आरसीबी की पहली पसंद नहीं थे। किसी अन्य खिलाड़ी के चोटिल होने पर उन्हें मौका मिला था। अब विराट कोहली जैसे दिग्गज ने सार्वजनिक मंच से अपने नए कप्तान का स्वागत किया है।

रजत के कप्‍तान बनने की रोमांचक कहानी

रजत की आरसीबी का कप्तान बनने की कहानी उनकी बल्लेबाजी की तरह ही रोमांच से भरी है। कभी 20 लाख रुपये में जिस खिलाड़ी को अपने साथ आरसीबी में जोड़ा था, उसे 11 करोड़ रुपये में रिटेन किया गया था। आईपीएल 2022 की नीलामी में चयन नहीं हुआ तो परिवार ने शादी की तारीख तय कर दी। घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं और उधर आरसीबी के लवनिथ सिसौदिया चोटिल हो गए। आनन-फानन में आरसीबी ने रजत को बुलावा भेजा। शादी की तैयारियां छोड़कर रजत ने आईपीएल की फ्लाइट पकड़ ली। उन्होंने एलिमिनेटर में 54 गेंदों में 112 रनों की पारी खेलते हुए अपनी उपयोगिता भी दर्शा दी। इस सत्र में 152.75 के स्ट्राइकरेट से 333 रन बनाकर टीम के तीसरे सबसे सफल बल्लेबाज रहे।

भारत के लिए रजत का डेब्‍यू

लगा कि अब टीम में जगह पक्की, तभी चोट के चलते आईपीएल 2023 सत्र में बाहर रहे। सर्जरी के बाद वापसी आसान नहीं होती, लेकिन रजत ने वापसी करते हुए न सिर्फ भारतीय टीम के लिए पदार्पण किया बल्कि अपनी घरेलू टीम मप्र के लिए भी कई यादगार पारी खेली।

रजत के कोचों की बातें

रजत के कोच रहे पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर अमय खुरासिया बताते हैं, श्वह बहुत मेहनती और गंभीर स्वभाव का है। अपने खेल में सुधार के लिए जुनूनी है। रजत की तकनीक मजबूत है, जिससे क्रिकेट के हर प्रारूप और परिस्थिति के अनुसार वह अपनी बल्लेबाजी में तुरंत बदलाव कर लेता है। रजत के बचपन के कोच राम अत्रे ने बताया कि सात साल की उम्र में पिता के साथ हमारे पास आया था। बहुत दुबला था और गेंदबाज बनना चाहता था। बल्लेबाजी अच्छी करता था और डिफेंस अच्छा था। मैंने उसकी बल्लेबाजी पर ध्यान दिया। वह स्वयं भी बहुत मेहनती है और अपने खेल में सुधार के लिए प्रयास करता रहा। पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर अमय खुरासिया के मार्गदर्शन में रजत ने अपनी बल्लेबाजी में तकनीकी सुधार किया। फिर मप्र के कोच चंद्रकांत पंडित का मार्गदर्शन मिला।

रजत के परिवार में खुशी का माहौल

रजत ने वर्ष 2015-16 में मध्य प्रदेश के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया था। लगातार दो मैचों में शतक लगाए। वर्ष 2022 में जब मप्र ने 69 साल के बाद रणजी ट्रॉफी जीती तो फाइनल में रजत ने शतकीय पारी खेली थी। वर्ष 2021 में आईपीएल में रजत आरसीबी में शामिल थे,लेकिन सिर्फ चार मैच ही खेलने को मिले थे। पिता मनोहर पाटीदार बताते हैं रजत को कप्तान बनाने की जानकारी सुबह मिली। हमारा पूरा परिवार बहुत खुश है, लेकिन बहुत रोमांचित हों ऐसा भी नहीं है। हमारे परिवार में रजत के क्रिकेट करियर को लेकर सभी सहज रहते हैं। इससे उसपर भी कभी अतिरिक्त दबाव नहीं बनता। हम चाहते हैं वह अच्छा खेले और देश का नाम रोशन करे।

टी-20 में मप्र के लिए की प्रभावी कप्तानी

रजत ने सैयद मुश्ताक अली ट्राफी टी-20 टूनामेंट 2024 में मप्र के लिए प्रभावी कप्तानी की थी। टीम उपविजेता रहा। फाइनल में मुंबई के खिलाफ मप्र टीम ने 54 रनों पर चार विकेट गंवा दिए थे। इसके बाद रजत ने मोर्चा संभालते हुए नाबाद 81 रनों की पारी खेली। 40 गेंदों की पारी में छह छक्के और इतने ही चौके लगाए। स्ट्राइक रेट 202.50 का रहा। इसके पहले बंगाल के खिलाफ नाबाद 66 रनों की पारी खेली थी।

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