Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

नगर निगम में भ्रष्टाचार और बिल्डरों की मनमानी पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, लेकिन कुछ भी नहीं बदलेगा?

sv news

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की हालत भी इस मामले में बेहतर नहीं है। दिल्ली नगर निगम के कामकाज के बारे में तो सब जानते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली नगर निगम पर जिस तरह की तल्ख टिप्पणी कर दी है, उससे एक बार फिर से एमसीडी की कड़वी सच्चाई बाहर आ गई है।

इस देश के किसी भी शहर के किसी भी नगर निगम या विकास प्राधिकरण के कार्यालय चले जाइए, बाहर घूमते दलालों की फौज यह बताते हुए नजर आती है कि वहां किस पैमाने पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तो यह है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के तमाम दावों के बावजूद आम लोगों का रिश्वत दिए बिना कोई काम हो पाना, आज भी उतना ही मुश्किल है जितना कई वर्षों या दशकों पहले हुआ करता था।

हालत यह है कि कोई भी व्यक्ति अपना निजी रिहायशी मकान बनवाने के लिए जैसे ही घर के सामने रेत,रोड़ी,बदरपुर और ईंट मंगवाते हैं वैसे ही पुलिस और नगर निगम अथवा विकास प्राधिकरण का कोई न कोई बंदा रिश्वत की मांग को लेकर पहुंच जाता है। लेकिन इन्ही के इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण होते रहते हैं, बिल्डरों की मनमानी चलती रहती है और ये चुप्पी साध कर बैठे रहते हैं। दिल्ली से सटे गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जैसे जिलों में तो हालात कहीं ज्यादा भयावह और बेकाबू हो चुके हैं। शहरीकरण  की अंधी दौड़ में भ्रष्टाचार और बिल्डरों की मनमानी के कारण आम लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

देश की राजधानी दिल्ली की हालत भी इस मामले में बेहतर नहीं है। दिल्ली नगर निगम के कामकाज के बारे में तो सब जानते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली नगर निगम पर जिस तरह की तल्ख टिप्पणी कर दी है, उससे एक बार फिर से एमसीडी की कड़वी सच्चाई बाहर आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने चांदनी चौक में अवैध निर्माण को लेकर दिल्ली नगर निगम की निष्क्रियता पर गंभीर टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया कि क्या दिल्ली नगर निगम बिल्डरों के हाथ में चल रहा है ? सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच के सामने सोमवार को एक मामले में दिल्ली नगर निगम ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद अवैध निर्माण को हटा दिया गया था और इसकी रिपोर्ट भी उपलब्ध है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम के रवैये पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि, कोई पीआईएल दायर करता है, तब जाकर आप जागते हैं और दिखावे की कार्रवाई करने लगते हैं। हाई कोर्ट भी आपकी बातों को मानकर मामले को बंद कर देता है। क्या नगर निगम बिल्डरों के हाथ में चल रहा है ? सर्वाेच्च न्यायालय ने सीबीआई से जांच करवाने की बात कहते हुए दिल्ली नगर निगम को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया है,जिसमें यह पूछा गया कि मामले की गहन जांच क्यों न कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केवल मौके का मुआयना ही काफी नहीं है, बल्कि दिल्ली नगर निगम की कार्यप्रणाली की भी जांच होनी चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि अवैध निर्माण की अनुमति किन कारणों से दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आर्किटेक्ट एवं इंजीनियर जैसे स्वतंत्र विशेषज्ञों के नाम सुझाने को भी कहा है, जो साइट का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट दे सके। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट सीबीआई जांच को लेकर अपना फैसला दे सकती है। क्योंकि दिल्ली नगर निगम के बयान पर दिल्ली हाई कोर्ट इससे पहले बाग दीवार, फतेहपुरी, चांदनी चौक में अवैध निर्माण को हटाने संबंधी याचिका का निपटारा कर चुका है। यानी अवैध निर्माण को लेकर पीआईएल दायर होने के बाद ही दिल्ली नगर निगम जागती है, थोड़ी-बहुत कार्रवाई का दिखावा कर रिपोर्ट जमा कर देती है और हाई कोर्ट उस याचिका का निपटारा कर देता है। लेकिन इससे न तो बिल्डरों के रवैये में कोई बदलाव आता है और न ही दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के रवैये में।

ऐसे में एक बार फिर से यही सवाल उठ कर सामने आ रहा है कि क्या अवैध निर्माण को लेकर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं की जानी चाहिए। जिन अधिकारियों के कार्यकाल में इस तरह के अवैध निर्माण होते हैं,क्या उनके लिए भी सजा का कोई प्रावधान नहीं होना चाहिए। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में तो प्लाटिंग करके जमीनों को लोगों को बेच दिया। कई जगह पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए बेचा गया और कई जगह बकायदा रजिस्ट्री भी करवाई गई लेकिन वर्षों बाद उसे सरकारी जमीन बता दिया जाता है। तो ऐसे में क्या उस दौरान इन जिलों में तैनात रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ? जरूर होनी चाहिए, बल्कि अगर ऐसे अधिकारी रिटायर भी हो गए हों तो भी उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। तभी भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण के इस जिन्न को बोतल में बंद करने में कामयाबी मिल पाएगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो तय मान कर चलिए कि भ्रष्टाचार, अवैध निर्माण और बिल्डरों की मनमानी के खिलाफ सब लफ्फाजी ही कर रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad