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हम समय बर्बाद नहीं करते...अमेरिका ने अटकाया तेजस का इंजन, भारत अब रूस से ले लेगा

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नई दिल्ली। तेजस एयरक्रॉफ्ट के इंजन को लेकर एक बहुत ही बड़ी खबर सामने आ रही है। अब भारत अपने तेजस इंजन को लेकर रूस से भी बात करना शुरू कर दिया है। फरवरी 2021 में भारतीय वायुसेना ने 83 तेजस लड़ाकू विमानों के लिए हल के साथ 48,000 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए। पहला विमान 31 मार्च, 2024 तक वितरित होने की उम्मीद थी। हालाँकि, कई कारकों के कारण ये टाइमलाइन फेल हो गई। इसके पीछे की वजह ळम् एयरोस्पेस द्वारा समय पर थ्404 इंजनों की आपूर्ति करने में विफलता और प्रमुख प्रमाणपत्रों में देरी शामिल है। अमेरिका की तरफ से इसके इंजन की डिलीवरी में देरी की जा रही है। अभी भी अमेरिका ने तेजस के इंजन सप्लाई को लेकर कोई भी टाइमलाइन भारत सरकार को नहीं दी है। यही वजह है कि अब भारत ने रूस को अप्रोच किया है। 

रूस ने इंजन को लेकर बहुत ही पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिया है। रूस की जानी मानी कंपनी रॉस्बरॉन एक्सपोर्ट के प्रवक्ता ने कहा है कि हम भारत के साथ मिलकर इस पार्टनरशिप को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने ये भी संकेत दिए हैं कि तेजस के इंजनों के लिए मेक इन इंडिया इनिशिएटिव के तहत भारत में भी आगे चलकर बना सकते हैं।  भारत के द्वारा तेजस मार्क ए 1 फाइटर जेट को लेकर जो इंजन लेने की डील अमेरिका की कंपनी  जनरल इलेक्ट्रिक के साथ हुई थी। लेकिन पिछले साल जनरल इलेक्ट्रिक की तरफ से इंजन को दिया जाना था वो नहीं डिलीवर हो पाया। इसका परिणाम ये हुआ कि हमारे एचएएल के द्वारा आईएएफ को तेजस एयक्रॉफ्ट 18 की जगह 2 ही डिलीवर कर पाए थे। अभी भी अमेरिका ने इसको लेकर कोई टाइमलाइन नहीं दी है, बस इतना कहा गया है कि अगले वित्तीय वर्ष से इंजन देना शुरू कर देंगे। 

तेजस जेट्स का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना नहीं कर पा रही थी। अब भारत ने रूस की तरफ रुख किया है। रक्षा क्षेत्र में रूस भारत का भरोसेपंद और सबसे पुराना साथी माना जाता है। बेंगलुरु के एयरो इंडिया शो में रूस की जानी मानी कंपनी यूनाइटेड इंजन कॉरपोरेशन के द्वारा एक इंजन 177 एस को डिसप्ले किया गया था। इस इंजन को तेजस में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कहा गया कि अगर इस इंजन की थ्रस्ट को बढ़ा दें तो इसके इंजन को एएमसीए के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी इसी इंजन को रूस ने भारत के एएमसीए प्रोग्राम के लिए भी ऑफर किया है। 

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