प्रयागराज (राजेश सिंह)। दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाइकोर्ट में करने का यहां के अधिवक्ता विरोध कर रहे हैं। सोमवार को हाईकोर्ट के वकीलों ने लंच के बाद सांकेतिक हड़ताल किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिशन की आम सभा अध्यक्ष अनिल तिवारी की अध्यक्षता में हुई।
आम सभा में जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद में तबादला करने का विरोध किया गया और इसको तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की गई। अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि जस्टिस वर्मा का हाईकोर्ट में विरोध किया जाएगा। किसी भी कीमत पर वह अधिवक्ता उनको यहां ज्वाइन नहीं करने देंगे। अगर वह कर भी लेते हैं तो उनकी कोर्ट का बहिष्कार किया जाएगा।
पिछले हफ्ते होली की छुट्टियों के दौरान उनके सरकारी बंगले में बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी मिलने के बाद यह फैसला लिया गया। यह धनराशि उस समय मिली जब इमारत में आग लग गई और न्यायाधीश के परिवार के सदस्यों ने- जो उस समय शहर में नहीं थे- आपातकालीन सेवाओं को फोन किया। उन्होंने फिर पुलिस को बुलाया।
जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) की पढ़ाई की और मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में उन्होंने कॉर्पोरेट कानूनों, कराधान और कानून की संबद्ध शाखाओं के अलावा संवैधानिक, श्रम और औद्योगिक विधानों के मामलों में भी वकालत की।
56 वर्षीय न्यायाधीश, जो 1992 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए थे, उन्हें 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उन्होंने 1 फरवरी 2016 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
वह 2006 से अपनी पदोन्नति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विशेष अधिवक्ता भी रहे, इसके अलावा 2012 से अगस्त 2013 तक उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता भी रहे, जब उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।