नैनी, प्रयागराज (केएन शुक्ल 'घंटी')। यमुनापार क्षेत्र के करछना, जसरा, लोहगरा, शंकरगढ़, मामा भांजा तालाब, पचदेवरा, भीरपुर, पनासा, बरदहा, नौवां कौवा, भुंडा, सहित अन्य क्षेत्रों में मानक को ताख पर ईट भट्ठों का संचालन किया जा रहा है। परिणाम स्वरुप किसान सहित आम लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। ईट भट्ठे के धुएं से आम लोग प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं। साथ ही किसानों की उपजाऊ भूमि भी बंजर हो रही है। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि एक दशक पूर्व कम लागत में उन्हें खेतों से अच्छी उत्पादन होती थी, परंतु हाल के वर्षों में ईट भट्ठे के निर्माण से उत्पादन प्रभावित हुई है। महंगे खाद बीज एवं समय पर सिंचाई के बाद भी फसलों का उत्पादन कम होता जा रहा है। खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है। फसल का उत्पादन प्रभावित होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ी है। किसान बैंक व साहूकारों के कर्ज तले दब गए हैं।
एसडीएम से हुई वार्ता
सूरज वार्ता के उप संपादक केएन शुक्ल 'घंटी' ने उक्त समस्या को लेकर हाल ही में उपजिलाधिकारी मेजा दशरथ प्रसाद से वार्ता करते हुए बताया कि सिरसा, डोरवा, औंता, टिकुरी, बेदौली, ऊंचडीह, माण्डारोड सहित अन्य दर्जनों गांवों में ईंट भट्ठे का संचालन मानक के विपरित किया जा रहा है। कुछ ईंट भट्ठों पर नाबालिगों से भी कार्य लिया जा रहा है। जबकि उनके लिए शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। एसडीएम ने शीघ्र ही छापेमारी कर उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।