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किसकी सरकार में अंसल के कारोबार को मिला विस्तार, बिना अनुमति के ही तान दिए गए अपार्टमेंट

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लखनऊ। हजारों आवंटियों को भूखंड और भवन का सपना दिखाकर अरबों रुपये ठगने वाले सुशील अंसल और प्रणव अंसल की राजनीतिक घुसपैठ समाजवादी पार्टी में ही नहीं बहुजन समाज पार्टी सहित कई अन्य राजनीतिक दलों में भी थीं। राजनीतिक संरक्षण और रसूख के दम पर अंसल प्रापर्टी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर (अंसल एपीआइ) की टाउनिशप के विस्तार को नियम कानून दरकिनार कर हरी झंडी मिलती चली गई और लोग फंसते गए।

दिल्ली से ताल्लुक रखने वाले सुशील और उनके बेटे प्रणव अंसल के कथित टाउनशिप का प्रस्ताव वर्ष 2005 तत्कालीन सपा सरकार के एक अधिकारी के जरिये सामने आता है। 1765 एकड़ में टाउनशिप को 21 मई को अनुमोदन भी मिल जाता है और ठीक एक वर्ष में ही यानी 22 मई 2006 को डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को भी मंजूरी मिल जाती है।

हैरत की बात यह है कि डीपीआर तो मंजूर कर दी गई, लेकिन अफसरों ने जमीन अधिग्रहण को लेकर अंसल से अनापत्ति मांगने की जरूरत नहीं समझी। अंसल ने बिना अनुमति के ही ग्राम समाज और तालाबों की जमीन पर भूखंड काट दिए और अपार्टमेंट खड़े कर दिए। अंसल की मनमानी के खिलाफ किसानों ने कई बार प्रदर्शन किया और शिकायतें भी दर्ज कराई गईं, लेकिन राजनीतिक और नौकरशाही के संरक्षण में अंसल की टाउनशिप आगे बढ़ती रही।

पहले चरण का कार्य भी नहीं हो पाया था कि अंसल ने 2009 में मायावती सरकार में 3530 एकड़ के विस्तार के लिए अनुमोदन मांगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों ने एक वर्ष से कम समय में टाउनशिप के विस्तार की डीपीआर को 18 मई 2010 को हरी झंडी दिखा दी।

इस समय तक अंसल अपने पहले चरण के अनुबंध की शर्तों को भी पूरा नहीं कर पाया था जब उसे विस्तार की डीपीआर हासिल हो गई। डीपीआर मिलने के बाद अंसल ने हजारों निवशकों से पैसा तो ले लिया, लेकिन जमीन अधिग्रहण नहीं होने से उनको भूखंड और मकान आवंटित नहीं कर पाया।

टाउनशिप के नाम पर अंसल की मनमानी यही नहीं थमी। मायावती के बाद जब अखिलेश यादव की सरकार 2012 में आई तो अंसल ने द्वितीय विस्तार के लिए और 2935 एकड़ का अनुमोदन सरकार के सामने रखा।

अंसल के प्रस्ताव को अखिलेश सरकार ने 23 मई 2015 को मंजूर करते हुए कुल 6465 एकड़ टाउनशिप की डीपीआर प्रदान कर दी। इसके बाद से निवेशक और खरीदार लगातार अपने भूखंड और मकान के लिए कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।

राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा अंसल को दिवालिया घोषित होने के बाद प्रदेश सरकार हरकत में आई है और मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ के निर्देश पर मंगलवार रात लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सुशील अंसल, प्रणव असंल सहित अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर शिकंजा कसना शुरू किया है।

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