यह अच्छी बात है कि जलशक्ति मंत्रालय की ओर से जल संरक्षण के विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं लेकिन अभीष्ट की प्राप्ति तब होगी जब हर कोई अपने स्तर पर जल संरक्षण के उपायों को अपनाने में तत्परता का परिचय देगा। जल संरक्षण का काम केवल सरकार और उसकी एजेंसियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। यह सबकी साझा जिम्मेदारी है और इसका निर्वहन इसी रूप में होना चाहिए...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में जल संरक्षण पर जोर देकर देश की जनता को उपयुक्त समय पर एक सही संदेश देने का काम किया। ऐसा करते हुए उन्होंने यह जो जानकारी दी कि पिछले सात-आठ वर्षों में जल संरक्षण के विभिन्न उपायों के जरिये 1100 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी बचाने में सफलता मिली, वह लोगों को उत्साहित करने और पानी की महत्ता को समझने के लिए प्रेरित करने वाली है।
निःसंदेह यह किसी उपलब्धि से कम नहीं कि जल संरक्षण के उपायों के जरिये बड़ी मात्रा में पानी बचाने में सफलता मिली है और प्रधानमंत्री ने इसका उल्लेख इसलिए किया, क्योंकि उनकी सरकार ने जल संरक्षण के लिए नीतिगत स्तर पर कुछ उल्लेखनीय कार्य किए हैं, लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
इस आवश्यकता की पूर्ति सरकारों, समाजसेवी संस्थाओं और साथ ही आम जनता की ओर से अपने स्तर पर इसलिए की जानी चाहिए, क्योंकि अपने देश में पानी को बचाने के वैसे उपाय नहीं किए जा रहे हैं जैसे आवश्यक हैं। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि वर्षा ऋतु में बहुत सा जल बेकार चला जाता है।
सरकार और समाज की कोशिश यह होनी चाहिए कि वर्षा जल का अधिकाधिक संग्रह किया जा सके, क्योंकि भारत उन देशों में प्रमुख है जहां जल संकट सिर उठाता दिख रहा है। जल संरक्षण के प्रयासों को कितनी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, इसे इससे समझा जा सकता है कि भारत में दुनिया की 17 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है, जबकि उसके उपयोग के लिए उपलब्ध जल चार प्रतिशत से भी कम है।
जल संरक्षण के तहत केवल वर्षा जल को सहेजने का ही काम नहीं होना चाहिए, बल्कि अन्य उपायों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उदाहरणस्वरूप तालाबों का अधिकाधिक निर्माण किया जाए और परंपरागत जल स्रोतों को दूषित होने से बचाया जाए। इसके अतिरिक्त उन उपायों को प्राथमिकता के आधार पर अपनाया जाए जिनसे घरेलू कार्यों, औद्योगिक गतिविधियों और खेती में पानी की खपत को कम किया जा सके।
अभी सीमित स्तर पर ही ऐसे उपाय अपनाए गए हैं। इसी कारण न केवल खेती में आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग हो रहा है, बल्कि औद्योगिक गतिविधियों में भी। स्पष्ट है कि जल संरक्षण की चिंता पूरे वर्ष की जानी चाहिए।
यह अच्छी बात है कि जलशक्ति मंत्रालय की ओर से जल संरक्षण के विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लेकिन अभीष्ट की प्राप्ति तब होगी जब हर कोई अपने स्तर पर जल संरक्षण के उपायों को अपनाने में तत्परता का परिचय देगा। जल संरक्षण का काम केवल सरकार और उसकी एजेंसियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। यह सबकी साझा जिम्मेदारी है और इसका निर्वहन इसी रूप में होना चाहिए।