मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)।
महिला सशक्तिकरण का मूलरूप नवरात्रि का पर्व है। जो हमारे समाज को जागृत करने के लिए वर्ष में दो बार शारदीय और वासंतिक नवरात्र और दो बार गुप्ता नवरात्र के रूप में मनाया जाता है, उक्त बातें युवा समाजसेवी अधिवक्ता विकास तिवारी 'विक्की' ने नवरात्र महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया। श्री तिवारी ने आगे बताया कि जीवन में प्रथम गुरु मां होती है प्रथम अन्नदाता भी मां एवं प्रथम आश्रय भी मां का आंचल ही होता है जीवन जीने की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता एवं संस्कृति का रूप निखारा है नारी का अस्तित्व ही सुंदर जीवन और नारी की समाज में उपस्थित ही सुंदर समाज का आधार है किसी समाज के उत्थान के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण जैसा होना कोई साधन नहीं है। फिर भी हमारे समाज में नारी हमेसा से पूज्यनीय इसीलिए हमारे शास्त्रों में कहा गया है “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः हमारे यहां नारी का हर रूप पूज्यनीय है कन्या रूप मां रूप पत्नी को घर का लक्ष्मी माना गया है और नारी को सब का जन्मस्रोत माना गया है जगत जननी मां की पूजा वर्ष में दोबार प्रमुख रूप से नवरात्र महीने में मनाया जाता है।
श्री तिवारी ने कहा कि नारी के हर रूप का हम लोगों को सम्मान करना चाहिये। चाहे वह हमारी या किसी की भी मां हो, बहन हो, बेटी हो या पत्नी हो। इसी के साथ आप सभी को नव हिंदू नव वर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।