प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में वट सावित्री व्रत का आयोजन श्रद्धा और उत्साह के साथ किया गया। सुहागन महिलाओं ने तड़के से ही संगम में स्नान किया। इसके बाद पारंपरिक वस्त्र पहनकर बरगद की पूजा की। महिलाएं लाल या पीले वस्त्र पहनकर और मांग में सिंदूर लगाकर व्रत रखती हैं। वे सजा हुआ थाल लेकर वट वृक्ष के पास जाती हैं। पेड़ की परिक्रमा कर कच्चे सूत से उसे लपेटती हैं। जल, फल, मिठाई और धूप-दीप से पूजा करती हैं। पूजा के दौरान सावित्री-सत्यवान की कथा सुनी जाती है। प्रयागराज के संगम तट, झूंसी, दारागंज और तेलियरगंज के मंदिरों में बड़ी संख्या में महिलाएं एकत्र हुईं। कई स्थानों पर सामूहिक कथा वाचन और पूजन कार्यक्रम आयोजित किए गए। नगर निगम और धार्मिक संगठनों ने पेड़ों के नीचे सफाई, टेंट और पेयजल की व्यवस्था की। वट सावित्री व्रत सावित्री और सत्यवान की प्रेम कथा पर आधारित है। सावित्री ने अपने बुद्धि और दृढ़ निश्चय से यमराज से अपने पति के प्राण वापस लिए थे। यह व्रत नारी शक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। महिलाएं इस दिन वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।