प्रयागराज (राजेश सिंह)। माफिया एवं पूर्व विधायक विजय मिश्रा और उनकी पत्नी रामलली मिश्रा (पूर्व एमएलसी) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने जा रहा है। ईडी ने इस बाबत विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति से अभियोजन स्वीकृति मांगी है।
माफिया एवं पूर्व विधायक विजय मिश्रा और उनकी पत्नी रामलली मिश्रा (पूर्व एमएलसी) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने जा रहा है। ईडी ने इस बाबत विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति से अभियोजन स्वीकृति मांगी है। राजधानी स्थित ईडी के जोनल कार्यालय ने इसका पत्र भेज दिया है।
बता दें कि विजय मिश्रा पूर्व विधायक हैं, जबकि उनकी पत्नी पूर्व एमएलसी रह चुकी हैं। दोनों के खिलाफ ईडी की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर मुकदमा शुरू करने के लिए ईडी को अभियोजन स्वीकृति की दरकार है, जिसकी वजह से विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति को पत्र भेजकर अनुरोध किया गया है। बता दें कि विजिलेंस ने प्रयागराज के हंडिया थाने में विजय मिश्रा और उनकी पत्नी रामलली के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा दर्ज कराया था।
इसके आधार पर ईडी ने भी मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। ईडी विजय मिश्रा और उनकी पत्नी की करीब 50 करोड़ रुपये कीमत की चल-अचल संपत्तियों को जब्त कर चुका है, जो दिल्ली, मध्य प्रदेश और प्रयागराज में स्थित हैं। दिल्ली के जसोला में विजय मिश्रा ने मेसर्स वीएसपी स्टारर रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर वाणिज्यिक संपत्ति खरीदी थी, जिसका लाखों रुपये किराया भी आता था।
इसी कंपनी के नाम से प्रयागराज में एक संपत्ति खरीदने में निवेश किया था। वहीं मध्य प्रदेश के रीवा में चंदन तिवारी के नाम से संपत्ति खरीदी थी। जिसका भुगतान विजय मिश्रा के बेटे विष्णु मिश्रा ने अपराध की आय से किया था। बता दें कि विजय मिश्रा के खिलाफ अपहरण, हत्या, लूट, धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश रचने आदि के करीब 83 मुकदमे दर्ज रहे हैं, जिसमें से दो में उसे सजा भी हो चुकी है।
नंदी पर हमले के बाद सुर्खियों में आया नाम
प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी पर वर्ष 2010 में बम से हमला करने के बाद विजय मिश्रा का नाम सुर्खियों में आया था। वहीं उसके खिलाफ वर्ष 1982 में पहला मुकदमा प्रयागराज के हंडिया थाने में ही दर्ज हुआ था। नंदी पर हमले के लिए छोटा राजन के शूटर राजेश पायलट की मदद ली गई थी। इसके बाद विजय मिश्रा का प्रभुत्व भदोही समेत पूर्वांचल के कई जिलों में हो गया और बाकी माफिया भी उससे अदावत लेने से बचने लगे।