प्रयागराज (राजेश सिंह)। उत्तर प्रदेश पुलिस के नए मुखिया वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण की बतौर पुलिस महानिदेशक तैनाती प्रयागराज के लोगों के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण है। क्योंकि, आईपीएस के लिए चयनित होने से राज्य के सबसे ऊंचे पुलिस पद तक पहुंचने का उनका सफर प्रयागराज से ही शुरू हुआ था। पुलिसिंग के बुनियादी गुर उन्होंने यहीं से सीखे।
इसके बाद फिर आगे बढ़े तो मुड़कर नहीं देखा और यूपी पुलिस के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। आईपीएस राजीव कृष्ण 1991 में आईपीएस के लिए चयनित हुए। 15 सितंबर 1991 को उनकी पुलिस विभाग में ज्वाइनिंग हुई। इसके बाद नवंबर 1992 में बतौर प्रोबेशनरी एएसपी पीटीसी मुरादाबाद में एक महीने के लिए तैनात रहे। पुलिस अफसर बनने का उनका वास्तविक सफर इसके बाद शुरू हुआ।
16 दिसंबर 1992 को उन्हें प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) में बतौर प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी तैनाती मिली। इसके बाद करीब सात महीनों तक, यानी सात जुलाई 1993 तक, यहीं तैनात रहकर उन्होंने पुलिसिंग की बुनियादी विधाओं का गहन प्रशिक्षण लिया। यही वह शहर था, जहां उन्होंने अपराध नियंत्रण, कानून-व्यवस्था बनाए रखने और जनसंपर्क के महत्वपूर्ण पहलुओं को व्यावहारिक रूप में सीखा।
दिल में बसती हैं प्रयागराज की यादें
प्रयागराज धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तो है ही, प्रशासनिक रूप से भी यह एक चुनौतीपूर्ण जिला माना जाता है। यहां मिले अनुभवों ने ही आईपीएस राजीव कृष्ण को शुरुआती दौर में ही एक सक्षम और संवेदनशील अफसर बनने की दिशा में प्रेरित किया। वह खुद कहते रहे हैं कि प्रयागराज में बिताया गया प्रशिक्षण काल उनके पूरे कॅरिअर के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हुआ।
प्रशिक्षण काल के बाद उन्होंने प्रदेश के कई प्रमुख और संवेदनशील जिलों में जिम्मेदारियां संभालीं। मेरठ, आगरा, लखनऊ और नोएडा जैसे शहरों में उन्होंने न केवल कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाया, बल्कि आधुनिक पुलिसिंग के कई सफल प्रयोग भी किए। शांतिपूर्ण चुनाव संचालन, सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना और साइबर क्राइम जैसी नई चुनौतियों से निपटने में उनकी कार्यशैली की खूब सराहना हुई।