Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

रेहड़ी लगाकर बेटी के सपनों को दी उड़ान, अब मिली पंजाब क्रिकेट टीम की कमान; कुछ ऐसी है प्रियंका रानी की कहानी

sv news

फाजिल्का। अगर इरादे मजबूत और रिश्ते में त्याग का भाव हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता। फाजिल्का की बेटी प्रियंका रानी की कामयाबी के पीछे उनके पिता टेक चंद की वो तपस्या है, जो उन्होंने अंडे की रेहड़ी लगाकर पूरी की। एक पिता, जिसकी खुद की कमाई सीमित थी, लेकिन बेटी के क्रिकेट के सपने के लिए उसने अपनी ख्वाहिशों को भुला दिया। शाम चार बजे से नौ बजे तक लगने वाली रेहड़ी को कभी-कभी तीन-तीन घंटे ओवरटाइम तक खींचा, ताकि बेटी के लिए क्रिकेट किट, जूते या कोचिंग की फीस जुटाई जा सके। प्रियंका रानी पंजाब अंडर-23 क्रिकेट टीम की कप्तान बन चुकी है। इस सफलता की नींव रखी गई थी फाजिल्का की तंग गलियों में, उस छोटे से घर में, जहां हर दिन पिता टेक चंद की मेहनत बेटी के एक और मैच, एक और ट्रेनिंग सेशन के लिए समर्पित होती थी।

फाजिल्का के जट्टियां मोहल्ले की गलियों से निकलकर राष्ट्रीय क्रिकेट के मंच तक पहुंची प्रियंका की कहानी जितनी प्रेरणादायक है, उतनी ही भावुक भी। उनके पिता टेक चंद ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि जब उन्होंने बेटी की आंखों में क्रिकेट के लिए वही चमक देखी, जो कभी खुद के भीतर थी तो उन्होंने ठान लिया कि बेटी को पीछे नहीं हटने देंगे। टेक चंद अंडे की रेहड़ी लगाकर परिवार चलाते हैं। परिवार में पत्नी, एक बेटा और प्रियंका हैं। बेटियों को कम समझने वाले समाज के बीच उन्होंने कभी अपनी बेटी को बेटे से कम नहीं माना। हर बाप का सपना होता है कि वह अच्छा घर बनाए, लेकिन उन्होंने अपना सपना बेटी का भविष्य बना लिया। एक घटना याद करते हुए वह बताते हैं कि प्रियंका को जब पहली बार 18,000 रुपये की महंगी क्रिकेट किट की जरूरत पड़ी तो घर में हालात अच्छे नहीं थे।

ऐसे में उन्होंने तीन घंटे अतिरिक्त रेहड़ी लगाई, ताकि बेटी की जरूरत पूरी हो सके। कभी शूज के लिए तो कभी आने-जाने के खर्च के लिए उन्हें ओवरटाइम करना पड़ा। लोगों ने कहा कि बेटा है, उसी पर ध्यान दो, लेकिन मैंने प्रियंका को ही अपना बेटा मान लिया था। दो साल पहले सड़क हादसे में उनका पैर फ्रैक्चर हो गया था। डाक्टरों ने आराम की सलाह दी, लेकिन वह जानते थे कि बेटी की ट्रेनिंग नहीं रुकनी चाहिए। प्लास्टर चढ़े पैर के साथ भी रेहड़ी लगाना बंद नहीं किया। यह त्याग ही था, जिसने प्रियंका को पंजाब क्रिकेट का चेहरा बना दिया।

वूमेन प्रीमियर लीग है अगला लक्ष्य

प्रियंका अब बरनाला क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से खेल रही हैं। चार साल से वहां का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उनके खेल को पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन का भी समर्थन मिला है। जनवरी 2025 में बीसीसीआइ की अंडर-23 इंटर स्टेट टी-20 प्रतियोगिता में उन्होंने कप्तानी करते हुए सबका ध्यान खींचा। अब वह वूमेन प्रीमियर लीग में जगह बनाकर देश के लिए खेलने का सपना देख रही हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad