जलस्तर घटने के साथ बढ़ रही परेशानी, राहत शिविर में कर रहे भोजन
प्रयागराज (राजेश सिंह)। गंगा और यमुना के जलस्तर में बुधवार से गिरावट तेज दर्ज कर दी गई है। दूसरी ओर गंगा और यमुना के जलस्तर में गिरावट के बावजूद करीब पांच लाख की आबादी बाढ़ से जूझ रही है। समय के साथ बाढ़ पीड़ितों की दुश्वारियां भी बढ़ती जा रही हैं। आशियाना छूटने के बाद अब उनके सामने भोजन-पानी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राहत शिविरों में लगातार बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। बीते रोज जहां 8386 लोगों ने सरकारी राहत शिविरों में शरण ली थी, वहीं मंगलवार को यह संख्या बढ़कर 9470 हो गई। यह संख्या अभी और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
बाढ़ से प्रभावित इलाकों में राहत कार्य में ढिलाई बरतने, पीड़ितों को भोजन, पेयजल, चिकित्सा सुविधाएं दिए जाने और बाढ़ के पानी में डूबकर मरने वालों को 25-25 लाख की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने आदि मुद्दों को लेकर समाजवादी पार्टी ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन एडीएम सिटी को सौंपा। सपा नेताओं ने राहत कार्य में ढिलाई का आरोप लगाते हुए बिजली, पानी, चिकित्सा सुविधा, भोजन, पशुओं के चारे सहित स्टीमर और एम्बुलेंस उपलब्ध कराने की मांग की। इस मौके पर जिलाध्यक्ष गंगापार अनिल यादव, महानगर अध्यक्ष सैयद इफ्तेखार हुसैन, यमुनापार अध्यक्ष पप्पू लाल निषाद, एमएलसी डॉ. मानसिंह यादव आदि मौजूद रहे।
रोटरी प्रयागराज प्लैटिनम, अग्रवाल समाज और अग्रवाल युवा मंडल के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को करेलाबाग में बाढ़ पीड़ित परिवारों को सूखा राशन, पीने का पानी और अन्य आवश्यक सामग्री वितरित की गई। यह राहत अभियान 10 दिनों तक चलेगा। इस दौरान मेयर गणेश केसरवानी एवं सिटी मजिस्ट्रेट मनीष कुमार वर्मा ने राहत स्थलों पर उपस्थित रहे। इस दौरान रोटरी प्लैटिनम के अध्यक्ष रोटेरियन डॉ. प्रतीक पांडे, अग्रवाल युवा मंडल के अध्यक्ष अभिनव अग्रवाल, रोटरी प्लैटिनम के चार्टर अध्यक्ष रितेश सिंह और अग्रवाल समाज के पूर्व महामंत्री विपुल मित्तल सहित कई सदस्यों की मौजूदगी रही।
पूर्व महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने मंगलवार को बाढ़ राहत शिविरों में राहत सामग्री वितरित की। बाढ़ प्रभावित बलुआघाट स्थित मलिन बस्ती में सेवा कार्य करते हुए उन्होंने लोगों को हरसंभव मदद का भरोसा दिया। पूर्व महापौर गऊघाट स्थित जमुना क्रिश्चियन इंटर कॉलेज और मीरापुर स्थित रमादेवी बालिका इंटर कॉलेज में संचालित राहत शिविर में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात कर सुविधाओं की जानकारी ली। साथ ही बाढ़ में फंसे लोगों से बात करने उन तक राहत सामग्री पहुंचाई।
बीते कई दिनों से अन्य प्रदेशों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण प्रयागराज में भी उसका असर दिख रहा है। सभी नदियां खतरे के निशान को पार कर उफान पर बह रही हैं। लगातार बाढ़ की स्थिति को देखते हुए सोमवार को कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता, उप जिलाधिकारी आकांक्षा सिंह ने कटका गांव का दौरा किया। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात कर हाल जाना। इसके बाद वे मिर्जापुर के लिए रवाना हो गए। इस मौके पर नायब तहसीलदार संतोष यादव, ग्राम प्रधान पवन निषाद तथा राजस्व टीम के साथ बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे।
बाढ़ के पानी से छोटा बघाड़ा इलाका पूरी तरह घिर गया है। यहां करीब 300 के आसपास परिवार हैं। अधिकतर मकान दो से तीन मंजिला हैं। पहला मंजिल पानी में डूब चुका है। दूसरे व तीसरे मंजिल पर लोग परिवार व बच्चों के साथ शरण लिए हुए हैं। दूसरी मंजिल पर शरण लिए जौनपुर निवासी राहुल यादव ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले 20 छात्र बाढ़ के बीच फंसे हुए हैं। उन्हें नाव भी नहीं मिल रही है। एक मंजिला मकान पूरी तरह से डूब चुका है। खाने तक के लाले पड़ गए हैं। दूध, नमक, माचिस तक उन्हें नहीं मिल पा रहा है। थोड़ी दूर पर विमला देवी दिखीं। उन्होंने बताया कि जो नाव आ रही है, वह पानी की सतह पर रहती है जबकि उनके मकान की ऊंचाई पानी की सतह से चार फीट ऊपर है। ऐसे में वह कैसे बाहर निकलें, समझ नहीं आ रहा है। घर में एक बुजुर्ग बीमार हैं, उनकी दवा भी समाप्त हो गई है। अरविंद यादव कहते हैं कि उन्हें बिहार जाना हैं, उनके साथ नौ साथी भी हैं लेकिन सभी तीन दिन से नाव के लिए कंट्रोल रूम में फोन कर रहे हैं, कोई सुनने वाला नहीं है। दो मंजिला पर हम लोग हैं। सचिन कहते हैं कि न पीने का पानी है न ही ब्रेड, दूध और गैस सिलेंडर। गलियों में दो हजार से अधिक लोग फंसे हुए हैं।
यहां तकरीबन 100 से अधिक मकान डूब गए हैं। सुनील यादव कहते हैं कि कैंप में लोग जाना तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें घर में चोरी होने का डर सता रहा है। जीवन भर की गृहस्थी किसके भरोसे छोड़कर जाएं। दूसरी ओर पीने का साफ पानी तक नहीं मिल पा रहा है। सुरसती देवी का कहना है कि कई लोगों के पशु इधर - उधर वैसे ही खुले में पड़े हैं। हालत बहुत खराब है।
एनडीआरएफ के एएसआई दीपांकर चौधरी कहते हैं कि रात में जिलाधिकारी भी आए थे। बाढ़ में फंसे करीब 500 लोगों को हम लोगों ने सुरक्षित निकाल तो लिया है, लेकिन गलियों में बिजली के तारों के जंजाल और पीलर में लगे छड़ की वजह से टीम सभी जगह नहीं पहुंच पा रही है। उनके स्टीमर ऐसे हैं कि कील लग जाएगी तो गहरे पानी में फंस सकते हैं। उनका कहना है कि लकड़ी की नाव अंदर जा सकती है लेकिन गलियां इतनी सकरी हैं कि संभव नहीं हो पा रहा है।