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किसान भाई आप भी इस तकनीक को अपनाएं और सब्जी की पैदावार व आय

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। किसी भी क्षेत्र को प्रगति की राह पर ले जाना हो तो उसे तकनीक से जोड़ दीजिए, फिर देखिए परिणाम। यहां के अन्नदाताओं ने भी कुछ ऐसा ही किया। बेल वाली प्रजाति की सब्जियों की खेती में हर साल भारी नुकसान होता था। कभी कीट व रोग मेहनत पर पानी फेरते थे, तो कभी बारिश। जब से मचान विधि अपनाई है। खेती में मचान विधि को गले लगाकर इन चिंताओं से मुक्ति पा ली। बेजोड़ गुणवत्ता वाले उत्पाद की कीमत भी बढ़िया मिल रही है।

बारिश में जलभराव से खराब हो जाती थी पैदावार

जिले के गंगापार व यमुनापार में इलाके के गांवों में बड़े पैमाने पर किसान सब्जियों की खेती करते हैं। इनमें कुंदरू, पवरल, नेनुआ आदि बेल वाली प्रजाति की सब्जियां भी शामिल हैं। दरोगापुर के फूलचंद्र पटेल और सहसों ब्लाक के सेमरी निवासी हरिशंकर सिंह बताते हैं कि पहले इन सब्जियों के पौधों की बेल खेत में फैला दी जाती थी। बारिश में जलजमाव से पैदावार खराब हो जाती थी।

सब्जियों की खेती के लिए मचान विधि कारगर है

सब्जियों के जमीन पर पड़े होने के कारण रोग लग जाते थे। वह सड़ भी जाते थे। फिर मचान विधि का पता चला। इसमें बांस, तार और तांत के धागे के सहारे खेत में ऊंचाई पर जाल बिछाया जाता है। सब्जियों के पौधों की बेल उस पर चढ़ा दी जाती है।

मचान विधि के फायदे

मचान विधि से न जलभराव का खतरा रहता है और न रोग लगने या फसल के सड़ने का डर। सब्जियां साफ-सुथरी रहती हैं। निराई-गोड़ाई और दवा का छिड़काव आसान रहता है। इसके बेहतर परिणाम सामने आएं, जिसके बाद यह विधि गांव-गांव फैलने लगी। इन इलाकों के लगभग 50 गांवों में किसान इसे अपना चुके हैं।

इन गांवों में किसानों ने अपनाई है मचान विधि

शुआट्स के वरीय सहायक मुनीष कुमार सिंह बताते हैं कि लगभग छह साल पहले किसानों ने मचान विधि से खेती शुरू की थी। धनूपुर, सोरांव और बहरिया इस विधि का प्रयोग किसान सबसे ज्यादा कर रहे हैं। दरोगापुर, दिघौटा, भोपतपुर, पटैला, अलमसराय, उसवा का सराय, सेमरी, सराय भोगी, साधनगंज, उसरही, बारी, बड़बोली, सेवैथ, शिवगढ़ आदि गांव इनमें शामिल हैं।

क्या कहते हैं किसान

दरोगापुर गांव के किसान रूपचंद्र कहते हैं कि करीब छह साल से मचान विधि से सब्जी की खेती कर रहा हूं। इस समय भी कुंदूरू लगा रखा है। इस विधि ने फसल की गुणवत्ता के साथ लगभग 25 फीसदी उत्पादन बढ़ा दिया है। इसी गांव के अभय प्रताप सिंह ने कहा कि करीब दो साल से मचान विधि से सब्जी की खेती कर रहा हूं। कितनी भी बारिश हो जाए, फसल खराब नहीं होती। रोगों का कोई डर नहीं है। उत्पादन लगभग 35 फीसदी बढ़ गया है।

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