प्रयागराज (राजे सिंह)। सीनियर और जूनियर रेजिडेंट की हड़ताल से स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय की चिकित्सकीय व्यवस्था ठप हो गई। ट्रामा सेंटर में किसी को भर्ती नहीं किया गया। इससे दूर-दराज से आए मरीजों को बिन इलाज के लौटना पड़ा। मरीज दर्द से कराहते रहे, परिवारीजन मिन्नत करते रहे, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। न कर्तव्य याद आया। सभी हड़ताल में बैठे रहे। इससे रात 10 से एक बजे तक लगभग 35 मरीजों बिना इलाज के लौटना पड़ा। वहीं, अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीजों की देखरेख नर्सों के भरोसे रहे।
रीवा के बरेठी गांव निवासी कंचन देवी बाइक से गिरकर चुटहिल हो गईं। वह 15 सितंबर से स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में भर्ती हैं। मंगलवार की रात सिटी स्कैन कराने उन्हें ट्रामा सेंटर भेजा गया। वह घंटों स्ट्रेचर पर लेटी रहीं, लेकिन सिटी स्कैन नहीं हुआ। जौनपुर से आयीं ममता यादव, मंझनपुर की नाजियाबानो, खुर्शीदा, गोपीगंज की वरुणा तिवारी को बिना इलाज के लौटना पड़ा।
वहीं, मार्गदुर्घटना में घायल कौशांबी के भरवारी निवासी मनीष कुमार को भर्ती नहीं किया गया तो परिवारीजन एंबुलेंस से निजी अस्पताल ले गए। मीरापुर निवासी 65 वर्षीय मोहन लाल, हंडिया के 34 वर्षीय मीरा देवी, 43 वर्षीय मालती देवी, मेजा की 54 वर्षीय अलबेला, 67 वर्षीय कमल सिंह सहित कई गंभीर मरीजों को भर्ती नही किया गया। इससे वह निजी अस्पताल चले गए। रेजिडेंटों की हड़ताल की जानकारी न होने के कारण लोग एसआरएन अस्पताल आते रहे, वहां काफी देर तक इधर-उधर भटकने के बाद निराश लौटे।
एंबुलेंस वालों की मनमानी वसूली
सीनियर और जूनियर रेजिडेंट की हड़ताल का फायदा एंबुलेंस संचालकों ने उठाया। अधिकतर मरीज ऐसे थे जो चार पहिया वाहन से अस्पताल तक आए। अस्पताल पहुंचने पर गाड़ी उन्हें उतारकर लौट गई। हड़ताल के चलते उन्हें नहीं भर्ती किया गया तो एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ा। इसका फायदा उठाकर एंबुलेंस चालकों ने आठ से 10 किलोमीटर दूर जाने के लिए पांच से सात हजार रुपये वसूले। जिसने अधिक पैसा दिया उसे लेकर गए। कम पैसा देने वालों को अस्पातल में छोड़ दिया।