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प्रयागराज जंक्शन पर सीमांचल एक्सप्रेस में छापेमारी, 15 बच्चे-किशोर बरामद

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मदरसे में पढ़ाने के बहाने लुधियाना ले जा रहा था ठेकेदार

प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज जंक्शन पर मंगलवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब जोगबनी से आनंद विहार टर्मिनल जा रही सीमांचल एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12487) में मानव तस्करी के एक बड़े मामले का राजफाश हुआ। इस दौरान संयुक्त टीम ने 15 किशोरों व बच्चों को मुक्त कराया। हालांकि इस आपरेशन के दौरान मुख्य ठेकेदार कुछ अन्य बच्चों के साथ भागने में सफल रहा, जिसके बाद जीआरपी और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने उसकी तलाश तेज कर दी है।

रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स, राजकीय रेलवे पुलिस (ळत्च्), चाइल्ड लाइन और आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान की संयुक्त टीम ने एक सटीक और रेस्क्यू आपरेशन चलाकर इन किशोरों व बच्चों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया। इनको कथित तौर पर मदरसे में पढ़ाने के बहाने लुधियाना ले जाया जा रहा था, जहां उन्हें अवैध रूप से काम पर लगाने की साजिश थी। यह पूरा मामला शुरू हुआ एक गुप्त सूचना से, जो आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान के प्रोग्राम मैनेजर दिव्य प्रकाश शुक्ला को बिहार से मिली थी। सूचना के मुताबिक, सीमांचल एक्सप्रेस के जनरल और स्लीपर कोच में करीब 40 नाबालिग बच्चों व किशोरों को अवैध रूप से लुधियाना ले जाया जा रहा था। इन्हें पढ़ाई के नाम पर ले जाने का झांसा दिया गया था, लेकिन असल में उनकी मजदूरी के लिए तस्करी की जा रही थी।

दो मिनट ट्रेन के मीरजापुर में रुकने से वहां नहीं हो सकी कार्रवाई 

इस सूचना के आधार पर संस्था ने तुरंत मीरजापुर में जीआरपी के साथ मिलकर कार्रवाई की योजना बनाई। लेकिन मीरजापुर स्टेशन पर ट्रेन के केवल दो मिनट रुकने के कारण वहां बच्चों को बरामद नहीं किया जा सका। इसके बाद, जैसे ही ट्रेन प्रयागराज की ओर रवाना हुई, संस्था ने तुरंत प्रयागराज जंक्शन के अधिकारियों को सूचित किया।

प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दो पर पहुंची ट्रेन को घेर लिया 

प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दो पर मंगलवार सुबह माहौल तनावपूर्ण था। ट्रेन के पहुंचने से पहले ही जीआरपी इंस्पेक्टर अकलेश कुमार सिंह और आरपीएफ इंस्पेक्टर अमित मीना के नेतृत्व में टीमें तैनात हो चुकी थीं। चाइल्ड लाइन के कर्मचारी और आस्था संस्था की महिला कार्यकर्ता भी इस आपरेशन का हिस्सा थे, ताकि बच्चों की पहचान और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

भीड़भाड़ के कारण ट्रेन में टीम ने सतर्कता से की जांच

स्टेशन पर घेराबंदी की गई, और जैसे ही सीमांचल एक्सप्रेस प्लेटफार्म पर रुकी, टीमें हरकत में आ गईं। जनरल और स्लीपर कोच की बारीकी से तलाशी शुरू हुई। जनरल कोच में भीड़-भाड़ और अव्यवस्था के बीच, टीम ने सतर्कता के साथ जांच की।

स्लीपर कोच में चार व जनरल कोच में 11 बच्चे व किशोर मिले

जांच के दौरान स्लीपर कोच में चार बच्चे और जनरल कोच में 11 बच्चे व किशोर मिले। कुल 15 बच्चों व किशोरों को ट्रेन से उतारा गया। इनकी उम्र 10 से 17 वर्ष के बीच थी, और सभी बिहार के विभिन्न इलाकों के निवासी थे। पूछताछ में बताया कि एक ठेकेदार उन्हें पढ़ाई के लिए ले जा रहा था, लेकिन उनके पास कोई कागजात नहीं थे।

महिला व उसके कुछ साथी पकड़े गए

बच्चों व किशोरों का घबराया हुआ चेहरा और असहज व्यवहार तस्करी की कहानी को उजागर कर रहा था। इस आपरेशन के दौरान एक महिला और उसके कुछ साथी भी पकड़े गए, जिन्होंने दावा किया कि उनका बच्चा भी गलती से पकड़ लिया गया। हालांकि जांच में यह स्पष्ट हो गया कि यह एक सुनियोजित तस्करी का मामला था।

मास्टर माइंड ठेकेदार फरार हो गया, उसकी हो रही तलाश 

आपरेशन के दौरान तस्करों में अफरा-तफरी मच गई। ठेकेदार, जो इस रैकेट का मास्टर माइंड था, भीड़ का फायदा उठाकर कुछ अन्य बच्चों के साथ भाग निकला। जीआरपी और आरपीएफ ने तुरंत स्टेशन के सभी प्रवेश और निकास द्वारों को सील कर दिया, लेकिन ठेकेदार की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। बरामद किए गए 15 बच्चों को तुरंत चाइल्डलाइन के हवाले कर दिया गया, जहां उनकी काउंसलिंग और देखभाल शुरू की गई।

जीआरपी इंस्पेक्टर बोले- मामले की विधिक कार्रवाई शुरू

जीआरपी इंस्पेक्टर अकलेश कुमार सिंह ने बताया कि इस मामले में विधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। आस्था संस्था के साथ मिलकर ठेकेदार और अन्य संदिग्धों की जानकारी जुटाई जा रही है। इंस्पेक्टर अमित मीना ने कहा कि यह मानव तस्करी का गंभीर मामला है, और एएचटीयू ने फरार ठेकेदार को पकड़ने के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। इस आपरेशन ने रेलवे स्टेशनों पर निगरानी और सुरक्षा की जरूरत को एक बार फिर उजागर किया है। आस्था संस्था के प्रोग्राम मैनेजर दिव्य प्रकाश शुक्ला ने बताया कि उनकी टीम लगातार ऐसी सूचनाओं पर काम करती है और बच्चों व किशोरों को मानव तस्करी से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यह घटना न केवल मानव तस्करी के खिलाफ एक बड़ी जीत है, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

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