प्रयागराज (राजेश सिंह)। माफिया अतीक अहमद का बेटा अली अहमद को आज सुबह (बुधवार) नैनी सेंट्रल जेल से झांसी जेल भेजा दिया गया है। एक सेक्शन पीएसी के करीब 20 जवान अली को प्रिजन वैन में लेकर निकले हैं। जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने बताया- शासन के आदेश पर जेल बदली गई है।
अली अहमद 38 महीने से नैनी सेंट्रल जेल में बंद था। अली ने 30 जुलाई 2022 को कोर्ट में सरेंडर किया था। उस पर प्रॉपर्टी डीलर जीशान उर्फ जानू से 5 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद उसे उसे नैनी सेंट्रल जेल भेजा गया था।
बता दें कि चार महीने पहले अली के पास बैरक में कैश मिला था, तब उसे नैनी सेंट्रल जेल की 'फांसी घर' वाली हाई सिक्योरिटी सेल में भेज दिया गया। फांसी घर की हाई सिक्योरिटी सेल अन्य बैरकों से काफी दूर है। बैरक के अंदर और बाहर के पूरे रास्ते तक सीसीटीवी लगे हैं। बैरक के बाहर 4 सुरक्षाकर्मी और नंबरदारों की ड्यूटी लगी है।
झांसी जेल भेजने का कारण -
1.) अली की बैरक से कैश बरामद हुए
17 जून 2025 को अली की बैरक से कैश बरामद हुए थे। हालांकि, कितने रुपए थे, ये स्पष्ट नहीं हो सका था। इसके बाद जेल प्रशासन में खलबली मच गई और तत्काल प्रभाव से डिप्टी जेलर कांति देवी और एक हेड वार्डर को निलंबित करना पड़ा। घटना के बाद अली को हाई सिक्योरिटी बैरक में शिफ्ट कर दिया गया और लखनऊ स्थित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से उसकी निगरानी शुरू हो गई।
2.) सीसीटीवी में कैश देते पकड़ा गया
कुछ दिन पहले चेकिंग के दौरान अली अहमद एक वार्डर को कैश देते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। यह मामला भी उसके ट्रांसफर का बड़ा कारण बना।
अली की बैरक में कैश मिलने के बाद उसी दिन उसे नैनी सेंट्रल जेल की 'फांसी घर' वाली हाई सिक्योरिटी सेल में भेज दिया गया। फांसी घर की हाई सिक्योरिटी सेल अन्य बैरकों से काफी दूर है। बैरक के अंदर और बाहर के पूरे रास्ते तक सीसीटीवी लगे हैं। बैरक के बाहर 4 सुरक्षाकर्मी और नंबरदारों की ड्यूटी लगी है।
नैनी सेंट्रल जेल के अंदर बना 'फांसी घर' अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। साल-1970 से यह वीरान पड़ा है। कभी यहां पर फांसी देने वाले बंदियों को एक दिन पहले लाकर बंद किया जाता था। इस 'फांसी घर' में कुल 14 लोगों को फांसी दी गई गई है।
फांसी की सजा पर रोक के बाद अब यह हिस्सा कम ही इस्तेमाल होता है। लेकिन, इस हाई सिक्योरिटी बैरक में अहम कैदियों को रखा जाता है। कई बार ऐसे कैदी, जो साथियों पर हंगामा करते हैं, उन्हें यहां बंद किया जाता है।
