प्रयागराज (राजेश सिंह)। जसरा ब्लाक के देवरिया गांव की बाबा सुजावन देव आदर्श गोआश्रय स्थल। जुलाई में 246 मवेशियों के खर्च की डिमांड हुई। अगस्त में 244 पशुओं के चारे-भूसे का बजट मांगा गया। इसके बाद सितंबर में भी 244 मवेशियों के लिए भरण-पोषण की मांग करती हुई रिपोर्ट आई। इससे स्पष्ट है कि गोशाला में 244 या 246 मवेशी होने चाहिए। चार दिन पहले पशु चिकित्सक गोशाला पहुंचे तो उन्हें 215 मवेशी मिले।
गत दिवस सूरज वार्ता टीम ने पड़ताल कराई तो पशुओं की संख्या 187 मिली। यानी दोनों बार पशुओं की संख्या कम। अब सवाल यह उठता है कि जब मवेशी नहीं हैं तो उनके भरण-पोषण का बजट किस बट्टे खाते में जा रहा है।
इस गोआश्रय स्थल में मवेशियों के आंकड़ों में यह भिन्नता भरण-पोषण के बजट में हेराफेरी की ओर इशारा कर रही है। गोशालाओं मवेशियों की संख्या कम ज्यादा होती रहती है, लेकिन इतना अंतर नहीं आता। 20 सितंबर को इस गोशाला के लिए 244 मवेशियों के भरण पोषण के बजट की डिमांड ब्लाक से भेजी गई थी।
30 सितंबर को पशु चिकित्सक डा. एसबी सिंह पहुंचे तो 29 मवेशी कम मिले। पशु चिकित्सक ने तर्क दिया कि गोशाला का गेट टूटा था, जिससे कुछ मवेशी निकल गए। शनिवार को फिर जागरण की टीम पहुंची। गोपालकों ने मवेशियों की संख्या 187 बताई। यानी 57 पशु कम हो गए। यही नहीं गोपालकों ने कहीं कोई गेट या चहारदीवारी टूटी न होने की बात कही।
फिलहाल, पशुपालन विभाग इस मामले में ब्लाक के अफसरों के सिर पर ठीकरा फोड़ रहा है। जबकि, ब्लाक के अधिकारी चराते समय मवेशियों के छूट जाने का तर्क दे रहे हैं। जबकि, गोशालाओं के मवेशियों को खुले में चराने पर पहले से ही रोक लगी है। यही नहीं अगर, संरक्षित मवेशी छूट गए थे तो उन्हें भी खोजने की कोई कवायद नहीं हुई।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. शिवनाथ यादव ने बताया कि गोशालाओं की डिमांड ब्लाक से ही आती है। अकेले पशु चिकित्सक नहीं, बल्कि गांव के सचिव भी रिपोर्ट लगाते हैं। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही भरण-पोषण के बजट की डिमांग अग्रसारित की जाती है। इस मामले को दिखवाया जाएगा।
जसरा ब्लाक के बीडीओ ने कहीं ये बातें
जसरा के बीडीओ सुनील कुमार का कहना है कि देवरिया की गोशाला पहले से ही संवेदनशील है। इन दिनों प्रधान व सचिव के बीच मनमुटाव भी चल रहा है। अक्सर, मवेशियों को चराने के लिए छोड़ा जाता है, जिसमें मवेशी कम हो जाते हैं। फिर भी इस मामले को दिखवाया जाएगा।