प्रयागराज (राजेश सिंह)। बिहार चुनाव में भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की धमक सुनाई दी है। यहां के पुरा छात्रों ने चुनाव में न सिर्फ जोर आजमाया बल्कि दरभंगा जिले के गौरा बौराम विधानसभा सीट से सुजीत कुमार ने जीत का परचम भी लहराया है।
बिहार चुनाव में भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की धमक सुनाई दी है। यहां के पुरा छात्रों ने चुनाव में न सिर्फ जोर आजमाया बल्कि दरभंगा जिले के गौरा बौराम विधानसभा सीट से सुजीत कुमार ने जीत का परचम भी लहराया है। इविवि से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले सुजीत कुमार संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से आईआरएस के लिए चयनित हुए थे। प्रमुख आयुक्त तक का सफर पूरा करने के बाद वे राजनीति में सक्रिय हो गए और बिहार विधानसभा चुनाव-2025 में गौरा बौराम से चुनाव लड़े। उन्होंने भाजपा के टिकट पर दावेदारी की और विधानसभा पहुंचने में सफल हुए।
इविवि के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर पंकज कुमार बताते हैं कि सुजीत कुमार शुरू से ही मेधावी एवं तेज तर्रार छात्र रहे। वह आईआरएस बनने के बाद भी आते रहे। इसके अलावा प्रयागराज में रहकर तैयारी करने वाले हिमाचल प्रदेश कैडर के आईपीएस रहे जय प्रकाश ने भी छपरा विधानसभा सीट पर जन सुराज पार्टी से भाग्य आजमाया हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली। इनके अलावा इविवि छात्रसंघ का अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके राणा यशवंत प्रताप सिंह ने भी निर्दल प्रत्याशी के तौर बिहार चुनाव में दावेदारी की, लेकिन मतदान से एक दिन पहले उन्होंने भाजपा प्रत्याशी का समर्थन कर दिया।
बिहार चुनाव के नतीजे ने उत्तर प्रदेश में भी सपा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का स्पष्ट मत है कि खासतौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस नतीजे का असर देखने को मिलेगा। इविवि के राजनीति विज्ञान के प्रो. पंकज कुमार का कहना है कि मोदी एवं नीतीश कुमार की जोड़ी की स्वीकारता के अलावा बिहार विस चुनाव में कई अन्य फैक्टर रहे जो राजग की जीत का कारण बने। बिहार चुनाव में जातीयता सबसे बड़ा फैक्टर है।
बिहार में सामाजिक तानाबाना ऐसा है कि करीब हर गांव में यादव प्रभावी हैं और अन्य जातियां इनके विरोध में रहती हैं। चुनाव में भी इसका प्रभाव दिखा। उत्तर प्रदेश खासतौर पर पूर्वांचल में जातीय समीकरण भी बिहार जैसा है और भाजपा का सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला यहां भी कामयाब हो सकता है।