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इलाहाबाद हाई कोर्ट समेत कई डाकघरों में सर्वर डाउन की समस्या

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थित डाकखाना पिछले तीन दिन से सर्वर डाउन होने के कारण सफेद हाथी बना हुआ है। कोर्ट आदेश का अनुपालन कराने के लिए डाक भेजी नहीं जा पा रही है। क्योंकि सरकारी विभागों के खत, रजिस्ट्री इत्यादि भारतीय पोस्ट के माध्यम से ही भिजवाए जाते हैं। यही हाल कचहरी, प्रधान डाकघरों का भी है। साथ ही जिले के सभी डाकघरों में भी सर्वर ने लोगों को रुलाकर रख दिया है।

सर्वर पर नियंत्रण नहीं

पोस्टमास्टर कहते हैं कि सर्वर पर उनका अथवा विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है। अपग्रेडेशन चल रहा है, इस कारण कुछ दिन की कठिनाई है। हालांकि, रक्षाबंधन से पहले भी प्रधान डाकघर समेत अन्य डाकघरों में सर्वर डाउन होने से लोग परेशान थे। अब भी समस्या पूरी तरह नहीं सुलझी है और जनसामान्य को परेशान होना पड़ रहा है।

कई दिनों से डाकघरों में सर्वर डाउन समस्या 

कचहरी व प्रधान डाकघर से 100 से अधिक उपडाकघर जुड़े हुए हैं। जबकि हाई कोर्ट स्थित डाकखाना अलग है। इन सभी डाकघरों में कई दिनों से सर्वर डाउन की समस्या बनी हुई है। इससे लेनदेन व आधार संबंधित सारे कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा रजिस्ट्री बुकिंग, स्पीड पोस्ट, बीमा, पालिसी, सुकन्या जमा व आधार कार्ड में संशोधन सहित अन्य सारे कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

घंटों इंतजार के बाद मायूस होकर बैरंग लौटना पड़ा

फाफामऊ के 40 नंबर गुमटी के रहने वाले रामदुलार ने बताया कि स्पीड पोस्ट के लिए प्रधान डाकघर आए हुए थे, लेकिन सर्वर न आने से बुकिंग का काम ठप चल रहा था। वहीं, लीडर रोड निवासी अनिल दुबे ने बताया कि बेटी का सुकन्या खाता खुला है। खाते में रुपये जमा करने के लिए डाकघर आए थे, लेकिन सर्वर न आने से काम नहीं हो पाया। वहीं, चालू खाता व मासिक जमा के लिए आए हुए ग्राहकों को घंटों इंतजार के बाद मायूस होकर बैरंग लौटना पड़ा।

हाई कोर्ट में करीब 8 हजार प्रतिदिन भेजी जाती है डाक

उधर, हाई कोर्ट में लगभग आठ हजार डाक प्रतिदिन भेजी जाती है, लेकिन सर्वर डाउन होने से अधिवक्ताओं व न्यायालय प्रशासन को परेशानी उठानी पड़ रही है। यह स्थिति तब है जबकि प्रधान डाकघर हाई कोर्ट परिसर से लगभग पांच सौ मीटर की दूरी पर है। अधिवक्ताओं ने संचार विभाग से समस्या का शीघ्र समाधान निकालने की मांग की है। हालांकि, डाक विभाग के अधिकारी इस बारे में कुछ भी साफ तौर पर नहीं बोल रहे हैं।

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