प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रो. राजेंद्र सिंह (राजू भैया) राज्य विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया अब अंतिम चरणों में पहुंच गई है। विश्वविद्यालय की स्क्रीनिंग समिति द्वारा आवेदनों की प्रारंभिक जांच के बाद यह पाया गया कि कई अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों में आवश्यक विवरण या प्रमाणपत्र अपूर्ण अथवा त्रुटिपूर्ण हैं।
तीन नवंबर तक विश्वविद्यालय के ई-मेल पर भेज सकेंगे
24 विषयों में 250 सीटों के सापेक्ष 850 आवेदन आए हैं। इसमें से 265 अभ्यर्थियों को अभी भी अयोग्य की श्रेणी में रखा गया है, जिन्हें दूसरा अवसर प्रदान किया गया है। इन अभ्यर्थियों को अपना स्पष्टीकरण तीन नवंबर तक विश्वविद्यालय के ई-मेल पर भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
कुछ अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए योग्य पाया गया
विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार स्क्रीनिंग समिति ने आवेदनपत्रों की विस्तृत जांच के दौरान जिन अभ्यर्थियों के दस्तावेजों में कमी या आपत्ति पाई उनसे 18 से 25 अक्टूबर तक ईमेल के माध्यम से प्रत्यावेदन आमंत्रित किए थे। प्रत्यावेदनों की पुनः समीक्षा के बाद कुछ अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए योग्य पाया गया है। वहीं 265 अभ्यर्थियों को अभी भी अयोग्य की श्रेणी में रखा गया है।
क्या कहते हैं प्रवेश निदेशक?
तीन नवंबर के बाद आने वाले स्पष्टीकरण पर विचार नहीं किया जाएगा। विश्वविद्यालय ने ऐसे अभ्यर्थियों की सूची भी जारी कर दी है, जिन्हें पुनः स्पष्टीकरण देने का अवसर प्रदान किया गया है। प्रवेश निदेशक प्रो. विवेक कुमार सिंह ने बताया कि जिन अभ्यर्थियों का नाम सूची में नहीं है, उन्हें ईमेल करने की आवश्यकता नहीं है।
नवंबर प्रथम सप्ताह में होंगे साक्षात्कार
विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि पीएचडी साक्षात्कार नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है। योग्यता संबंधी नियमों में कहा गया है कि जून-2024 से पूर्व यूजीसी-नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी पीएचडी प्रवेश के लिए पात्र नहीं होंगे। जून-2024 या उसके बाद नेट परीक्षा में किसी एक श्रेणी में उत्तीर्ण हैं, उन्हें साक्षात्कार के लिए योग्य माना जाएगा। साथ ही आवेदन की अंतिम तिथि आठ अगस्त तक जिन अभ्यर्थियों का जेआरएफ प्रमाणपत्र वैध था, केवल वे ही पात्र होंगे।
रिसर्च सेल का किया गया गठन
विश्वविद्यालय में चल रहे शोध कार्यों के बेहतर संचालन और समन्वय के लिए अनुसंधान प्रकोष्ठ का गठन भी किया गया है। इसमें प्राचीन इतिहास विभाग के डा. मनोज कुमार वर्मा को समन्वयक, डा. गौतम कोहली, बजरंगबली, और गौरव सिंह को सदस्य बनाया गया है।
