मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। मेजा क्षेत्र की सहकारी समितियों में डीएपी और यूरिया खाद की भारी किल्लत से किसान परेशान हैं। गेहूं की बुवाई का अंतिम समय होने के बावजूद समितियों पर डीएपी उपलब्ध नहीं है, जिससे किसानों को दर-दर भटकना पड़ रहा है।
कई सहकारी समितियों पर ताले लटके हुए हैं, जिससे किसानों में रोष है। मेजा स्थित लछन का पूरा राजकीय सहकारी समिति में डीएपी की एक भी खेप नहीं पहुंची है। वहीं, निजी दुकानों पर डीएपी उपलब्ध है, लेकिन सरकारी दर से काफी अधिक कीमत पर बेची जा रही है।
समिति से 1350 रुपये में मिलने वाली खाद निजी दुकान पर 1600 से 1700 रुपये में मिल रही है। गरीब किसान इतनी महंगी खाद खरीदने में असमर्थ हैं।
किसानों का कहना है कि अधिकारी केवल बैठकें करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर व्यवस्था नहीं बन पाती। जब खाद की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, तभी यह संकट खड़ा कर दिया जाता है। किसान दाऊ प्रजापति, मुमताज अली, श्यामकृष्ण पांडेय, फूलचंद्र तिवारी और इंद्रबहादुर बिंद ने बताया कि डीएपी और यूरिया समितियों से गायब है। वे निजी दुकानों पर महंगे दामों में खाद खरीदने को मजबूर हैं।
इस संबंध में मेजा के सहायक विकास अधिकारी सहकारिता सच्चिदानंद दुबे ने बताया कि सभी समितियों में एनपीके उपलब्ध है। डीएपी में नाइट्रोजन और फास्फोरस होता है, जबकि एनपीके में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का संतुलित मिश्रण होता है, जो अक्सर डीएपी से अधिक फायदेमंद माना जाता है। उन्होंने बताया कि ई-मशीन खराब होने के कारण मेजा में डीएपी नहीं आ सकी है।
