पढ़ाई पे चर्चा' में पीएम मोदी ने किया सोशल मीडिया का जिक्र
पीएम मोदी ने बच्चों को दिए एग्जाम के स्ट्रेस से निपटने के टिप्स
मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
"परीक्षा पे चर्चा 2022" का सीधा प्रसारण नवोदय के एमपी हाल में बड़े स्क्रीन पर प्राचार्या श्रीमती सुधा सेठी के नेतृत्व में 4 सौ छात्र -छात्राओं और 45 शिक्षकों सह कर्मियों ने देखा।'परीक्षा पे चर्चा' के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों को पढ़ाई के वक्त सोशल मीडिया से दूर रहने की नसीहत दी। मोदी ने तंज भरे लहजे में बच्चों से पूछा, 'जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं या रील देखते हैं?' मोदी ने कहा कि 'आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से और व्यापक रूप से चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। हमें इसे एक अवसर मानना चाहिए, न कि समस्या। हमें कोशिश करनी चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई को एक रिवॉर्ड के रूप में अपने टाइमटेबल में रख सकते हैं।' पीएम ने एक स्टूडेंट के सवाल पर जवाब में यह बात कही। मोदी ने कहा, 'दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है।
क्लास में भी कई बार आपका शरीर क्लास में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती होगी क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा।'
पीएम ने आगे कहा, 'मन कहीं और होगा तो सुनना ही बंद हो जाता है। जो चीजें ऑफलाइन होती हैं, वही ऑनलाइन भी होती हैं। इसका मतलब है कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा।उन्होंने समझाया कि ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है। मुझे कितना ज्ञान अर्जित करना है मैं अपने मोबाइल फोन पर ले आऊंगा, जो मैंने वहां पाया है ऑफलाइन में मैं उसे पनपने का अवसर दूंगा। ऑनलाइन का अपना आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें और ऑफलाइन में जाकर उसे साकार करना है।
'परीक्षा पे चर्चा' के दौरान पीएम मोदी ने पढ़ाई को लेकर टीचर्स और पैरंट्स के एटिट्यूड में आए बदलाव का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा, 'पुराने जमाने में शिक्षक का परिवार से संपर्क रहता था। परिवार अपने बच्चों के लिए क्या सोचते हैं उससे शिक्षक परिचित होते थे। शिक्षक क्या करते हैं, उससे परिजन परिचित होते थे। यानि शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था लेकिन अब बच्चा दिन भर क्या करता है, उसके लिए मां बाप के पास समय नहीं है। शिक्षक को केवल सिलेबस से लेना देना है कि मेरा काम हो गया, मैंने बहुत अच्छी तरह पढ़ाया लेकिन बच्चे का मन कुछ और करता है।'पीएम ने कहा, 'जब तक हम बच्चे की शक्ति, सीमाएं, रुचि और उसकी अपेक्षा को बारीकी से जानने का प्रयास नहीं करते हैं, तो कहीं न कहीं वो लड़खड़ा जाता है।
इसलिए मैं हर अभिभावक और शिक्षक को कहना चाहूंगा कि आप अपने मन की आशा, अपेक्षा के अनुसार अपने बच्चे पर बोझ न बढ़ जाए,इस बात का प्रयास करना चाहिए।इसके अलावा पीएम ने बच्चों को परीक्षा से संबंधित मुख्य रूप से 10 टिप्स दिए।पीएम द्वारा परीक्षा पे चर्चा के बारे जब नवोदय के बच्चों से पूंछ गया तो 9वीं कक्षा के अर्चित,जानकी 10वीं के नरेंद्र शुक्ला और अंशुमान, 11वीं के विकास पाल,खुशी त्रिपाठी और 12 वीं के सचिन शुक्ला और आर्यमान ने कहा कि मोदी सर द्वारा दिए टिप्स हमारे लिए रामबाण का काम करेगा और निश्चित रूप से उनके द्वारा कही बातों का अनुसरण करने से अप्रत्याशित परिणाम आएंगे।अंत में संस्था के उपप्राचार्य आर के पाण्डेय ने पीएम द्वारा दिए गए सुझाव को बच्चों को संकल्प के तौर पर लेने की बात कहते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।