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हाथ में न तगाड़ी न फावड़ा ले रहे मनरेगा की मजदूरी

SV News

जेसीबी मशीनों से हो रही तालाबों की खुदाई, काम के लिए तरस रहे मनरेगा मजदूर

मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार का बोलबाला

कोरांव, प्रयागराज (सत्यम तिवारी)। सरकार श्रमिकों को उनके गांव में ही रोजगार देने के लिए मनरेगा योजना की शुरुआत की थी। हालात यह हो गए हैं कि जिनके हाथ में न तो फावड़ा और न ही तगाड़ी है उनके खातों में मनरेगा की मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। वास्तविक कामगार व मनरेगा श्रमिक गांव में काम के लिए तरस रहे हैं। आलम यह है कि मनरेगा योजना के तहत तालाबों की खुदाई जेसीबी मशीनों के द्वारा कराई जा रही है। जिससे कामगार श्रमिक पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं। विकासखंड कोरांव में कच्ची सड़क में मिट्टी कार्य हो अथवा तालाबों की खुदाई प्रधान व जिम्मेदार अधिकारी रात के अंधेरे में जेसीबी मशीनों से काम करवा ले रहे हैं। काम कराने के बाद जो वास्तविक श्रमिक नहीं है उनके खातों में मनरेगा की मजदूरी का भुगतान कराने का खेल लंबे समय से खेला जा रहा है। विकासखंड कोरांव के प्रत्येक गांवो में अगर मनरेगा मजदूरी के भुगतान की उच्चस्तरीय जांच कराई जाय तो साफ तौर पर जाहिर हो जाएगा कि वास्तविक मनरेगा श्रमिक आज भी काम के लिए तरस रहे हैं। जो कभी मजदूरी करने अथवा हाथ में तगाड़ी व फावड़ा नहीं लेते हैं उनके खातों में मजदूरी का भुगतान कर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है। विकासखंड कोरांव के डील उसरी, टीकर, नीबी, धाव, हनुमानगंज पैतिहा, खीरी, धोबहट, पूरादत्तू, डिहार, महुली, संसारपुर, बरौहा समेत कई गांवो में मनरेगा मजदूरी के भुगतान में व्यापक धांधली की जा रही है। बिना मनरेगा श्रमिकों से काम कराए ही जेसीबी मशीनों से तालाबों की खुदाई अथवा मिट्टी कार्य कराते हुए मनरेगा मजदूरी के भुगतान में धन की बंदरबांट की जा रही है। किंतु जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। उपरोक्त गांवो के मनरेगा श्रमिकों ने मनरेगा द्वारा कराए गए विकास कार्यों की उच्च स्तरीय जांच कराते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

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