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गंगा दशहरा: लाखों ने लगाई संगम में आस्था की डुबकी

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ग्रामीण अंचलों के गंगा तटों पर दिखी स्नानार्थियों की भीड़

प्रयागराज (राजेश शुक्ला)। मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का पर्व गंगा दशहरा गुरुवार को मनाया जा रहा है। प्रयागराज में गंगा, यमुना के संगम के पवित्र जल में स्नान करने के लिए देश के विभिन्न शहरों से लाखों श्रद्धालु आए हैं। स्नान करके घाट पर पूजन व दान करके मनोकामना पूर्ति की कामना कर रहे हैं। 

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आचार्य पंडित प्रदीप दुबे के अनुसार मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण ज्येष्ठ शुक्लपक्ष दशमी तिथि व वृष लग्न में हुआ था। दशमी तिथि गुरुवार की भोर में 3.08 बजे से लगकर रात 2.26 बजे तक रहेगी। वहीं, वृष लग्न भोर 3.42 से सुबह 5.37 तक है। सूर्योदय सुबह 5.14 बजे तक होगा। वृष लग्न के दौरान स्नान-दान का विशेष मुहूर्त है। वैसे दशमी तिथि दिनभर है, ऐसी स्थिति में दोपहर 12 बजे तक स्नान किया जा सकता है।

पंडित आनंद पाण्डेय के अनुसार-ग्रहों का संचरण पुण्‍यकारी है: 

पंडित उमाशंकर पाण्डेय ने बताया कि हस्त नक्षत्र, तैतिल करण के अलावा वृष राशि में सूर्य व बुध, मेघ राशि में राहु व शुक्र तथा मीन राशि में मंगल व गुरु का संचरण होना अत्यंत पुण्यकारी है। गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने वालों को दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

बताया कि- मां गंगा राजा भगीरथ के पूर्वजों को मुक्ति देने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई हैं। ऐसे में हर व्यक्ति को गंगा दशहरा पर पूर्वजों के निमित्त पूजन करना चाहिए। इसमें क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा, निंदा और चोरी के भाव का नाश करने का संकल्प लेकर कम से कम 10 डुबकी लगानी चाहिए। स्नान, ध्यान और तर्पण करने से शरीर शुद्ध और मानसिक विकारों से मुक्त हो जाता है। साथ ही फल, सत्तू में देशी घी मिलाकर, गुड़ के पिंड जल में प्रवाहित करने से मानसिक, शारीरिक व आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। फल, सत्तू, जल भरा घड़ा, छाता का दान करना चाहिए।

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