नैनी, प्रयागराज (सत्यम जायसवाल)। सार्वजनिक रामलीला कमेटी अटल बिहारी वाजपेई नगर, नैनी में आठवें दिन का शुभारंभ पूर्व विधायक अशोक बाजपेई एवं पूर्व मंत्री उज्जवल रमण सिंह ने भगवान श्री राम की आरती कर किया। समिति के मुख्य संरक्षक विनीत पांडेय, अध्यक्ष राकेश जायसवाल एवं महामंत्री नयन कुशवाहा ने उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया।
रामलीला मंचन के दौरान हनुमान जी सुग्रीव को भगवान श्रीराम से मिलाते हैं। श्री राम ने सुग्रीव को बाली के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का संकल्प लेते हैं। सुग्रीव माता सीता की खोज करवाने का वचन देते हैं। सुग्रीव बाली को युद्ध के लिए ललकारते हैं। उनके बीच बहुत ही रोमांचकारी युद्ध होता है। अंत में श्री राम, बाण चलाकर बाली का वध कर देते हैं। मरने से पहले बाली भगवान राम से पूछता है कि, भगवन पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए अपने पृथ्वी पर अवतार लिया है। फिर आपने एक बहेलिये की तरह छुप कर मुझे क्यों मारा ? राम कहते हैं, कि जो व्यक्ति छोटे भाई की पत्नी, बहन एवं पुत्र वधू पर कुदृष्टि रखता है, उसका वध करने में कोई दोष नहीं है। अंत में बाली कहता है, भगवन, मैं आज भी पापी हूं किंतु मुझे आपकी कृपा से सद्गति मिल रही है। अपने पुत्र अंगद को राम की सुरक्षा में सौंप कर बाली प्राण त्याग देता है। हनुमानजी, सीता माता की खोज में लंका जाते हैं, सीता माता को राम का संदेश देते हैं। अशोक वाटिका में फल खाते समय कई राक्षसों का वध कर देते हैं। हनुमानजी और एवं मेघनाथ में रोमांचकारी युद्ध होता है जिसको देख दर्शक जोश से भर जाते हैं। जब मेघनाथ हनुमानजी के सामने टिक नहीं पाता तो वह ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करता है। ब्रह्मास्त्र का मान रखने के लिए हनुमानजी कुछ समय के लिए मूर्छित हो जाते हैं। मेघनाद उन्हें नागपाश में बांधकर रावण के दरबार में प्रस्तुत करता है। संरक्षक गण सुधीर शर्मा, समर बहादुर सिंह, रणजीत सिंह, भोला प्रजापति, मोहम्मद सारिक ने रामलीला आयोजन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कोषाध्यक्ष दिलीप केशरवानी, मीडिया प्रभारी आरके शुक्ला, आकांक्षा जायसवाल, प्रमोद सिंह, योगेश सिंह, शालू चड्ढा, बृजेश सिंह, निखिल चड्ढा, दिनेश केसरवानी, अरविंद पटेल, भोला शंकर तिवारी, सागर गुप्ता, रागिनी पाठक आर के शुक्ला आदि उपस्थित रहे।
रामलीला कमेटी में धू-धू कर जली सोने की लंका
अटल बिहारी वाजपेई नगर। श्री अवंतिका रामलीला के नवें दिन अशोक वाटिका लीला का मनोहारी मंचन आदर्श रामलीला कला मंदिर के कलाकारों द्वारा किया गया। अशोक वाटिका में अत्यधिक दुख की स्थिति में आकाश में चमकते तारों को देखती हैं और सोचती हैं कि यदि एक भी तारा पृथ्वी पर आ जाता तो मैं उससे अग्नि लेकर अपनी स्वयं की चिता बना अपने को समाप्त कर लेती | हनुमान जी, जो कि वही पत्तों के बीच में छुपे हुए हैं, उनके समक्ष प्रकट हो जाते हैं और उन्हें भगवान राम का संदेश सुना कर तथा उन्हें भगवान राम के पराक्रम की याद दिला कर उनका दुख हर लेते हैं | माता सीता उन्हें अजर, अमर, गुणानिधि और श्री राम का अतिशय प्रिय होने का वरदान देती हैं |
रामलीला के अगले भाग में हनुमान जी द्वारा अशोक वाटिका में फल खाना, हनुमान जी एवं मेघनाथ का रोमांचक युद्ध, रावण-दरबार, रावण -हनुमान संवाद की लीला का मंचन हुआ |
अंत मे, जब हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी जाती है तो वह रावण की सोने की लंका को जलाकर खाक कर देते हैं | लंका- दहन की लीला को देखकर दर्शक आनंदित हो कर पवनसुत हनुमान की जय, बजरंग बली की जय के जयकारे लगाने लगते हैंकार्यक्रम में प्रमुख रूप से बीबी दुबे, अवधेश पांडे, आर के शुक्ला, राजेंद्र शुक्ला, विनोद शंकर तिवारी, अरुण तिवारी, ओ पी मिश्रा, राधेश्याम तिवारी, पुष्पेंद्र पांडेय, दशरथ प्रसाद मिश्रा, धीरज मिश्रा, गोविंद दुबे, राजेश मिश्रा, बजरंगी, बिल्लू आर के शुक्ल आदि उपस्थित रहे ।