32 साल बाद अपने घर का सपना हुआ पूरा, कालकाजी के 575 परिवारों को सौंपी फ्लैट की चाबी
नई दिल्ली। कालकाजी भूमिहीन कैंप की संकरी गलियों के बीच बने झुग्गियों में रहने वाले 53 साल के बाल सिंह सफारी सूट पहनकर विज्ञान भवन जाने के लिए तैयार थे। वे बेहद खुश थे, क्योंकि जिस फ्लैट को पाने की बातें 1991 से सुन रहे थे, वह अब उन्हें मिलने जा रहा है। यह खुशी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि यहां रहने वाली पवित्रा दास के अलावा रंगोलाल दास की भी है। अब वह झुग्गियों से निकलकर फ्लैट में जाएंगे। कुल 575 लोगों को बुधवार को फ्लैट का आवंटन किया गया है।
रंगोलाल दास बताते हैं कि 1978 में वे परिवार के साथ यहां आएं थे। तब से यहीं रह रहे हैं। इलाके में दुकान चलाते हैं। उन्होंने कहा कि हमने पहली बार 1991 में फ्लैट मिलने की बातें सुनी थीं। उस समय यहां भूमिहीन कैंप में आग लगी थी, जिसमें 12 बच्चों की मौत हुई थी। तब से पप्पनकलां, कालकाजी के अलावा कहीं न कहीं फ्लैट बनने की बातें हो रही थीं। अब फ्लैट मिलने जा रहा है तो खुशी है। यहीं रहने वाले सुभाष जो मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं ने बताया कि उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी टाइल लगे फ्लैट में रहेंगे। उनका कहना था कि अब नए घर में परिवार के साथ रहूंगा।
पवित्रा दास भी आसपास फ्लैटों में काम कर जीवनयापन करती हैं। उनसे पूछा कि फ्लैट में जाकर पहले क्या करेंगी तो मुस्कुराते हुए कहा कि पूजा करेंगे और सभी को मिठाई खिलाएंगे। हालांकि, उन्हें दुख इस बात का भी है कि लोग छूट जाएंगे, क्योंकि भूमिहीन कैंप के अभी सभी लोगों को फ्लैट नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि धीरे-धीरे कई चरणों में लोगों को फ्लैट का आवंटन होगा। कुंती मंडल की अलग चिंता है। वह कहती हैं कि फ्लैट मिलने की खुशी है, इसलिए 1.47 लाख रुपये जमा करा दिया।
लाभार्थियों ने क्या कहा
फ्लैट अलॉटी रंगोलाल दास ने कहा, 'मैं भूमिहीन कैंप कालकाजी में 1978 से रह रहा हूं। एक बार यहां आग की घटना में कई बच्चे मर गए थे। उसके बाद 1991 से फ्लैट देने की बात चल रही थी। अब 32 साल बाद यह मिलने जा रहा है।'
फ्लैट अलॉटी मुन्नालाल ने कहा, 'भूमिहीन कैंप में मैं 19 साल से रह रहा हूं। यहां मेरा अपना मकान है। मजदूरी कर जीवनयापन करता हूं। फ्लैट के बारे में कभी सोचा नहीं था। अब उसमें रहने का सपना पूरा हो रहा है तो खुशी हो रही है।'
फ्लैट अलॉटी बाल सिंह ने कहा, 'झुग्गी में वर्षों रहने के बाद फ्लैट में जाने की खुशी तो होती ही है। बस इतना लंबा इंतजार ना करना पड़ता, तो अच्छा होता। मैं यहां 1977 से रह रहा हूं। अब 53 साल का हो चुका हूं।'
फ्लैट अलॉटी कुंती मंडल ने कहा, 'मैं भूमिहीन कैंप में परिवार के साथ 1974 से रह रही हूं। फ्लैट मिलने जा रहा है, हमने पैसा भी जमा करा दिया है। बस फ्लैट देने के साथ एक बार उसे दिखाना भी चाहिए था। 30 वर्षों के इंतजार के बाद अब जाकर फ्लैट मिलेगा।'
दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ी की जगह बने 3024 फ्लैट की चाबी उनके मालिकों को सौंपते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दशकों तक यह सोच रही कि गरीबी केवल गरीब की समस्या है, लेकिन आज देश में गरीबों की सरकार है। इसलिए वह गरीब को अपने हाल पर नहीं छोड़ सकती। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार आने के पहले दिल्ली में 50 लाख से ज्यादा ऐसे लोग थे जिनके पास बैंक का खाता नहीं था। सरकार ने अभियान चलाकर दिल्ली और देश में गरीबों के बैंक खाते खुलवाए। गरीबों को सरकार की योजना का सीधा लाभ मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा, रेहड़ी-पटरी, फल, सब्जी बेचने वाले, रिक्शा और ऑटो चला रहा शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिनके पास ‘भीम यूपीआई’ न हो। स्वनिधि योजना से रेहड़ी पटरी वालों को आगे बढ़ने के लिए बड़ी सहायता मुहैया कराई गई। दिल्ली में 50 हजार से ज्यादा लोगों ने इसका लाभ उठाया। दिल्ली में रहने वाले गरीबों के लिए राशन कार्ड एक बड़ी समस्या थी, लेकिन सरकार ने ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ की व्यवस्था कर एक बड़ी चिंता से मुक्ति दिलाई।
कांग्रेस ने कालकाजी में गरीबों के लिए बनाए गए फ्लैटों के उद्घाटन को लेकर निशाना साधा है। पार्टी ने आरोप लगाया कि झुग्गी पुनर्वास परियोजना के हिस्से के रूप में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 3024 फ्लैटों के निर्माण में पूरे छह साल की देरी और 68 प्रतिशत लागत की वृद्धि हुई है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित ने 18 सितंबर 2013 में इस योजना का उद्घाटन किया था।