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प्रयागराज : चाचा नेहरू के आंगन आनन्द भवन मे जुटे बच्चे, धूमधाम से मनाया गया 'बाल दिवस'

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। चाचा नेहरू के जन्मदिवस पर आज प्रयागराज में भी तमाम आयोजन हुआ। पंडित नेहरू के घर यानी आनंद भवन में तो उल्लास और उत्साह के साथ बच्चों का कलरव गूंजा। 
जन्मतिथि पर सुबह कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, अजय राय, संजय तिवारी, हसीब अहमद, इरशाद उल्ला समेत तमाम अन्य पदाधिकारियों ने आनंद भवन जाकर पंडित नेहरू को याद किया और उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए। प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि पंडित नेहरू गुट निरपेक्ष आंदोलन के प्रणेता थे। 

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बात अगर पंडित जी की करें तो हर वर्ग को संतुष्ट करने की खूबी थी प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू में। उनकी युवाओं के जोड़ने की कला का रह कोई कायल था। नाराज होकर आने वाले प्रसन्न होकर लौटता था। कुछ ऐसा ही हुआ था 1953 में। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने छात्र यूनियन की स्वायत्तता समाप्त करने का बिल पास कर दिया। इसके बाद नेहरू प्रयागराज आए थे तत्कालीन यूनियन अध्यक्ष वीरभद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों छात्रों ने आनंद भवन पहुंचकर नारेबाजी शुरू कर दी। छात्रों का शोर सुनकर नेहरू बैठक छोड़कर छात्रों से मिलने बाहर आए और उनकी मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया था। 
14 नवंबर 1889 को प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में जन्मे जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़चढ़ का हिस्सा लिया था, उनका बचपन इसी शहर में बीता था। इसी कारण इस शहर से हमेशा जुड़ाव बना रहा। नेहरू इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन के स्थाई सदस्य रहे हैं। इस विश्वविद्यालय ने 1950 में उन्हें मानद उपाधि के साथ यूनियन का सदस्य मनोनीत किया था। तभी उन्हें यूनियन का स्थाई सदस्य बनाया गया था। सुभाष चंद्र बोस समेत अन्य कई बड़े नेता आजादी के पहले यूनियन के सदस्य थे। 
इवि के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विनाेद चंद्र दुबे के अनुसार प्रदेश सरकार ने अप्रैल 1953 में प्रदेश की सभी छात्र यूनियन की स्वायत्तता को समाप्त करने के लिए बिल पास किया था। इस बिल के माध्यम से अधिकारियों का हस्तक्षेप यूनियन में बढ़ा दिया था। वहीं, 18 जुलाई 1953 को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू आनंद भवन आए थे तो छात्र वहां पहुंचकर नारेबाजी करने लगे। छात्र पुरानी व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे थे। नेहरू बैठक छोड़कर बाहर आकर सबसे आत्मीयता से मिले। उन्हें उचित कार्रवाई का भरोसा देकर संतुष्ट करके लौटाया था।

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